नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को लेकर मुंबई में एक बड़ी बैठक हुई। आज मंगलवार 10 जून 2025 को जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इसमें रिजर्व बैंक सहित सभी प्रमुख आर्थिक संस्थानों ने हिस्सा लिया और मौजूदा वित्तीय खतरों से निपटने की रणनीति पर चर्चा हुई।
देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल वैश्विक दबावों और घरेलू चुनौतियों के दौर से गुजर रही है। इसी पृष्ठभूमि में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई स्थित भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्यालय में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 29वीं बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आने वाले महीनों में आर्थिक दिशा तय करने की एक निर्णायक कोशिश थी।
क्या है वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)?
FSDC एक उच्च स्तरीय मंच है, जो देश की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और आर्थिक क्षेत्र में सुधार की दिशा तय करने का काम करता है। इसमें भारतीय रिज़र्व बैंक, सेबी, बीमा विनियामक प्राधिकरण (IRDAI), पेंशन नियामक प्राधिकरण (PFRDA) और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल होते हैं।
इस बैठक में क्या हुआ खास?
इस बार की बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। बैठक में खासतौर पर निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा हुई:
वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की रणनीति
- ग्लोबल बैंकिंग संकट से सबक
- क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी पर गहन समीक्षा
- आर्थिक अपराध और साइबर फ्रॉड पर सख्त निगरानी
ब्याज दरों के प्रभाव और उपभोक्ता साख
वित्त मंत्री ने साफ किया कि सरकार की प्राथमिकता देश की आर्थिक संरचना को बाहरी झटकों से सुरक्षित रखना है। बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्त सचिव टीवी सोमनाथन समेत तमाम बड़े अधिकारी शामिल रहे।
ग्लोबल संकट से भारत कैसे बच सकता है?
वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की कोशिशें इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोप के कई बैंक हाल के वर्षों में ढह चुके हैं। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित और लचीला बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है।
सीतारमण ने क्रिप्टो बाजार पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि इसका गहरा प्रभाव भारतीय निवेशकों पर भी हो सकता है, इसलिए नियमन जरूरी है। साथ ही साइबर फ्रॉड और डिजिटल भुगतान से जुड़े जोखिमों को भी प्राथमिकता दी गई।
आसान भाषा में समझिए— इस बैठक का क्या मतलब है आम जनता के लिए?
- बैंकिंग सिस्टम मजबूत रहेगा, जिससे आपका पैसा सुरक्षित रहेगा।
- डिजिटल फ्रॉड पर सख्ती से UPI जैसे लेन-देन ज्यादा सुरक्षित बनेंगे।
- क्रिप्टो जैसी जोखिमभरी चीज़ों पर सरकार की नजर बनी रहेगी।
- महंगाई और ब्याज दरों को संतुलित करने के प्रयास और तेज होंगे।
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