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Ola Electric नुकसान कम करने के लिए कर सकती है 1,000 कर्मचारियों की छंटनी

भाविश अग्रवाल के नेतृत्व वाली ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नुकसान कम करने के उद्देश्य से 1,000 कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की छंटनी कर सकती है। 

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Ajit Kumar Pandey
Ola Electric

Ola Electric Photograph: (x)

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नई दिल्ली, आईएएनएस । 

सोमवार को आई रिपोर्ट्स में बताया गया कि सॉफ्ट बैंक द्वारा समर्थित दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की ओर से यह छंटनी कई विभागों से की जाएगी। इसमें कस्टमर रिलेशन, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और खरीद जैसे विभाग शामिल हैं। 

बीते पांच महीने में यह दूसरी छंटनी है। इससे पहले नवंबर 2024 में कंपनी ने करीब 500 कर्मचारियों को निकाला था। मार्च 2024 तक ओला इलेक्ट्रिक के पास करीब 4,000 कर्मचारी थे। नई छंटनी से करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित होंगे। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी अपने कस्टमर रिलेशन ऑपरेशन के कुछ हिस्सों को ऑटोमेटिक कर रही है और कारोबार की जरूरतों के अनुसार छंटनी में बदलाव भी किया जा सकता है। ओला इलेक्ट्रिक को बाजार में पारंपरिक कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। 

25,000 से ज्यादा यूनिट बेचे

कंपनी का कहना है कि फरवरी में उसने 25,000 से ज्यादा यूनिट बेचे हैं और मार्केट शेयर 28 प्रतिशत है। हालांकि, वाहन पोर्टल के मुताबिक बीते महीने ओला इलेक्ट्रिक के 8,390 दो पहिया ईवी वाहनों का पंजीकरण हुआ था।

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ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। पिछले साल अगस्त में कंपनी का आईपीओ आया था, तब से लेकर इसका शेयर अपने पीक से 60 प्रतिशत तक गिर चुका है। दोपहर 1:20 पर ओला इलेक्ट्रिक का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 3.22 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54.94 रुपये पर था। 

तीसरी तिमाही में कमजोर नतीजे

ओला इलेक्ट्रिक ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में कमजोर नतीजे पेश किए थे। अक्टूबर-दिसंबर अवधि में कंपनी का घाटा बढ़कर 564 करोड़ रुपये हो गया है, जो कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के 495 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले 13.94 प्रतिशत अधिक है।

घाटे में सालाना आधार पर 50 प्रतिशत का इजाफा

ओला इलेक्ट्रिक के घाटे में सालाना आधार पर 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में कंपनी को 376 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने बताया था कि नुकसान बढ़ने की वजह बाजार में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा है।

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