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इतना सस्ता हो जाएगा पेट्रोल-डीजल, क्या है JP मॉर्गन की चौंकाने वाली भविष्यवाणी?

जेपी मॉर्गन की चौंकाने वाली भविष्यवाणी 2027 तक क्रूड ऑयल की कीमत 30 रूपए बैरल हो सकती है, यानी 1 लीटर तेल 18 रुपये से भी कम पानी की बोतल से सस्ती। क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतें सचमुच टूटने वाली हैं?

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Ajit Kumar Pandey
JP MORGEN REPORT UPDATE

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।पानी की बोतल से सस्ती हो जाएगी क्रूड ऑयल की कीमत? भारत को होगा सबसे बड़ा फायदा, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस पेट्रोल-डीजल के दाम हर दिन आपको परेशान करते हैं, वह पीने के पानी की बोतल से भी सस्ता हो सकता है? ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन JP Morgan ने कच्चे तेल Crude Oil की कीमतों को लेकर एक ऐसा हैरतअंगेज अनुमान लगाया है, जिसके सच होने पर भारत जैसे तेल आयातक देशों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी।

JP Morgan का मानना है कि आने वाले तीन सालों में कच्चे तेल की कीमत 30 प्रति बैरल तक गिर सकती है, जिसका सीधा मतलब है एक लीटर क्रूड ऑयल की कीमत मात्र 18 रुपये से भी कम होगी, यह भविष्यवाणी क्यों की गई है और इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा, आइए समझते हैं यंग भारत न्यूज के इस एक्सप्लेनर में। क्यों टूट सकते हैं कच्चे तेल के दाम? जानिए 30 रूपए प्रति बैरल की पूरी गणित।  

जेपी मॉर्गन की भविष्यवाणी के केंद्र में 'ओवरसप्लाई' का गणित है। उनका मानना है कि मार्च 2027 तक इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड Brent Crude की कीमतें मौजूदा स्तर से 50 परसेंट से ज्यादा गिरकर 30 रूपए प्रति बैरल तक आ सकती हैं। 

18 रूपए से कम कैसे होगी एक लीटर तेल की कीमत? 

अनुमानित कीमत: 30 रूपए प्रति बैरल। 

विनिमय दर Exchange Rate: लगभग 95 रुपये प्रति डॉलर।

एक बैरल 159 लीटर की कीमत: 30x95 रुपये = 2850 रुपये 

1 लीटर कच्चे तेल की कीमत: 2850 रुपये/159 लीटर = 17 रुपये 92 पैसे दिल्ली में। 

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जबकि, मिनरल वॉटर की 1 लीटर की बोतल 18 रुपये से 20 रुपये में बिकती है। यानी, अगर यह अनुमान सच हुआ तो क्रूड ऑयल की कीमत पानी की बोतल से भी कम हो जाएगी।

क्या है कीमतों में इस बड़ी गिरावट की वजह? 

'ओवरसप्लाई' का खेल: बाज़ार में कीमतें दो ही कारणों से गिरती हैं या तो मांग Demand कम हो जाए, या फिर आपूर्ति Supply बढ़ जाए। 

जेपी मॉर्गन का मानना है कि आने वाले सालों में सप्लाई ग्रोथ, डिमांड के मुकाबले कहीं ज्यादा रहने वाली है। 

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डिमांड और सप्लाई का ग्लोबल समीकरण: दुनिया भर में तेल की खपत लगातार बढ़ने का अनुमान है। 

साल 2025 में 0.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन mbpd की वृद्धि और कुल खपत 105.5 mbpd तक। जबकि साल 2026 में स्थिर रहने का अनुमान है। लेकिन, साल 2027 में ग्रोथ बढ़कर 1.2 mbpd तक पहुंच सकती है। 

सप्लाई आपूर्ति नॉन-OPEC+ देशों जैसे रूस, मैक्सिको, कजाकिस्तान, ओमान, आदि से तेल की सप्लाई में तेज उछाल की उम्मीद है। साल 2025-2026 में अनुमान है कि सप्लाई, डिमांड के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक तेजी से बढ़ेगी। 2027 तक सप्लाई लगातार खपत से अधिक रहेगी, जिससे बाज़ार में ओवरसप्लाई Oversupply की स्थिति पैदा होगी। सप्लाई ज्यादा होने का सीधा असर कीमत पर होता है। 

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जब बाज़ार में तेल बेचने वाले ज्यादा होंगे और खरीदने वाले कम, तो कीमत गिरना तय है। 

CRUID OIL MARKET

भारत के लिए यह भविष्यवाणी क्यों है 'गेम चेंजर'? 

यह अनुमान भारत जैसे देशों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो अपनी ज़रूरत के लिए दूसरे देशों से तेल खरीदते हैं। भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 86% कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा असर पेट्रोल, डीज़ल, और रसोई गैस LPG की खुदरा कीमतों पर पड़ेगा। 

महंगाई पर लगाम: सस्ता तेल होने से माल-ढुलाई Transportation की लागत कम होगी, जिससे फल, सब्ज़ियां, और अन्य वस्तुओं की कीमतें भी घटेंगी। इससे देश में महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। 

सरकारी खजाने को फायदा: तेल सस्ता होने से सरकार का आयात बिल Import Bill कम होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और भारतीय रुपये को मजबूती मिलेगी। 

सोचिए अगर 1 लीटर क्रूड ऑयल 18 रुपये से भी कम हो जाता है, तो पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ सकती हैं। यह आम आदमी की जेब को बड़ी राहत देगा और बचत बढ़ाएगा। 

क्या सच हो पाएगी JP मॉर्गन की यह भविष्यवाणी? 

तेल बाज़ार में भविष्यवाणी करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। जियोपॉलिटिकल तनाव Geopolitical Tensions, OPEC+ देशों के उत्पादन में कटौती के फैसले, और ग्लोबल इकोनॉमी की रफ्तार जैसे कारक इस अनुमान को प्रभावित कर सकते हैं। याद रखें यह कीमत कच्चे तेल की है, न कि पेट्रोल या डीज़ल की खुदरा कीमत। रिफाइनिंग, परिवहन, केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स Taxes, डीलर कमीशन जैसे खर्च जुड़ने के बाद ही खुदरा कीमत तय होती है। 

हालांकि, क्रूड ऑयल की कीमत में इतनी बड़ी गिरावट से खुदरा कीमतें भी निश्चित रूप से काफी कम हो जाएंगी। अगले तीन साल दुनिया के तेल बाज़ार के लिए बेहद रोमांचक होने वाले हैं। 

अगर यह अनुमान सच हुआ, तो यह भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक सुधार साबित होगा, जिससे आम आदमी को सीधा और बड़ा लाभ मिलेगा। 

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