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Mumbai ACB Court के एक आदेश को अब चुनौती देगा SEBI, पूर्व चेयरपर्सन समेत कई अफसरों पर लगे हैं गंभीर आरोप

Mumbai ACB की अदालत के उस आदेश अब SEBI चुनौती देगा। मुंबई की ACB की अदालत ने पूर्व चेयरपर्सन सहित SEBI और BSE अफसरों के विरूद्ध एफआईआर करने निर्देश गया है। 

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YBN News
MADVI

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

अब मुंबई की एसीबी अदालत के उस आदेश को SEBI यानि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया चुनौती देने का मन बना लिया है। इसके लिए SEBI कानूनी सलाहकारों के साथ मंथन शुरू कर दिया है। SEBI चुनौती देने के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाएगा।

बता दें कि मुंबई की एसीबी अदालत ने SEBI के पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, 3 होलटाइम सदस्यों समेत बीएसई के दो अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। SEBI का आरोप है कि शिकायतकर्ता एक बेबुनियाद और आदतन है, इसलिए इस आदेश को SEBI चुनौती देने व उचित कानूनी कदम उठाएगा। 

SEBI ने अपने जारी बयान में कहा है कि आवेदक को एक बेबुनियाद और आदतन मुकदमेबाजी के रूप में जाना जाता है। इनके पिछले आवेदनों को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। SEBI इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और वोनसभी मामलों में उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अदालत ने FIR का दिया था आदेश

1 मार्च को एक आदेश में, एसीबी कोर्ट ने सपन श्रीवास्तव द्वारा दायर एक आवेदन के बाद फैसला सुनाया कि मुंबई की वर्ली स्थित एंटी-करप्शन ब्यूरो को
पूर्व सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, होलटाइम सदस्यों- अश्वनी भाटिया, अनंत नारायण और कमलेश चंद्र वार्षेणेय और BSE के CEO सुंदररामन राममूर्ति के खिलाफ FIR दर्ज करनी होगी।

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SEBI ने जारी किया बयान

सेबी के बयान में कहा गया है कि भले ही ये अधिकारी संबंधित समय पर अपने पदों पर नहीं थे, अदालत ने सेबी को तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कोई नोटिस जारी किए बिना या कोई अवसर दिए बिना आवेदन की अनुमति दी।

स्टॉक एक्सचेंज पर फर्जी लिस्टिंग से संबंधित है आरोप

बताते चलें कि यह आरोप स्टॉक एक्सचेंज पर एक कंपनी की फर्जी लिस्टिंग से संबंधित हैं, जिसमें रेगुलेटरी अधिकारियों, विशेष रूप से सेबी की सक्रिय मिलीभगत से जुड़ा है. शिकायतकर्ता का तर्क है कि सेबी के अधिकारी अपनी वैधानिक ड्यूटी में विफल रहे. बाजार में हेरफेर की सुविधा प्रदान की और एक ऐसी कंपनी को लिस्ट करने की अनुमति दी, जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं करती थी.

BSE भी आदेश को देगा चुनौती

BSE ने भी कहा है कि वह इस संबंध में आवश्यक और उचित कानूनी कदम उठा रहा है। साथ ही यह भी कहा है कि कैल्स रिफाइनरीज की लिस्टिंग ऐसे समय में हुई थी जब आदेश में नामित बीएसई अधिकारी एक्सचेंज से जुड़े नहीं थे। BSE के बयान में बताया गया है कि नामित कंपनी, कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड, 1994 में बीएसई में लिस्ट हुई थी। आवेदन में नामित अधिकारी लिस्टिंग के समय अपने-अपने पदों पर नहीं थे और कंपनी से बिल्कुल भी जुड़े नहीं थे। आवेदन तुच्छ और तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए बीएसई को कोई नोटिस जारी किए बिना या कोई अवसर दिए बिना माननीय न्यायालय ने आवेदन की अनुमति दी है।

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