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शशांक भारद्वाज , सीनियर वीपी,चॉइस ब्रोकिंग
भारतीय शेयर मार्केट में इतनी सारी सकारात्मक बातें एक साथ संभवतः कभी नहीं थी। 22 सितंबर जीएसटी कमी लागू होने की तिथि थी एवं मार्केट वस्तुओं की बिक्री में बड़ी बढ़त को ले कर बहुत आशान्वित था। इस कारण मार्केट को प्रभावी तथा बड़े उछाल की आशा थी परंतु हुआ उल्टा।लगातार नौ दिनों तक गिरावट दिखी। वस्तुतः सारे सकारात्मक कारकों ,जीएसटी दर में बड़ी कमी समेत ,नीची ब्याज दरें,आयकर में कमी,अच्छी जीडीपी वृद्धि ,अच्छा मानसून, म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड निवेश,नए डिमेट खाते में अच्छी वृद्धि इत्यादि इत्यादि इन सभी पर ट्रंप टैरिफ तथा भविष्य में उसका अतिरिक्त भय भी एवं कंपनियां की आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं होने की आशंका भारी पड़ गई।
अप्रत्याशित तेजी की सुदृढ़ता बरकरार रहेगी
निफ्टी ने 18 सितंबर के 25448 के उच्चतम स्तर से 30 सितंबर तक के 9 व्यापारिक सत्रों में लगातार गिर 24587 का निचला स्तर बनाया। ये तो भला हो कि एक अक्टूबर को महानवमी के दिन मार्केट में अप्रत्याशित उछाल दिखाया। निफ्टी 225 अंक चढ़ गया। यह एक अत्यंत निराशाजनक होते वातावरण में दबे पांव आने वाली तेजी थी जैसा अक्सर शेयर मार्केट में होता है। 2 अक्टूबर की बंदी के बाद जब मार्केट पुनः 3 सितंबर को खुले तो यह दिन बहुत महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि एक बड़ी तेजी के पश्चात अगले दिन भी तेजी अप्रत्याशित तेजी की सुदृढ़ता को बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक होती है।अतः जब 3 अक्टूबर को सप्ताह के अंतिम व्यापारिक दिन निफ्टी भले 58 अंक ही चढ़ा परंतु ये 58 अंक की ही बढ़त मार्केट के आत्मविश्वास तथा दिशा के परिवर्तित हो तेजी के तथा सुदृढ़ होने का अच्छा संकेत था।
आने वाले दिनों में तेजी का रुख दिखाए देगा
अब यदि कोई नई बड़ी नकारात्मक बात नहीं आती तो मार्केट में कई दिनों की एक अच्छी तेजी देखी जा सकती है।जीएसटी कमी के पश्चात बिक्री के आंकड़े अत्यन्त उत्साहजनक है।22 सितंबर से 28 सितंबर कार की बिक्री में 133 प्रतिशत तो एफएमसीजी उत्पाद में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।भारतीयों के सबसे फैंसी प्रोडक्ट मोबाइल फोन तथा टीवी की बिक्री में भी बड़ा उछाल दिखा।एक विशेष बात यह भी रही कि इनके महंगे मॉडल अधिक बिके हैं।ये आंकड़े समृद्ध होते भारत का परिचय देते हैं।
भारतीय शेयर मार्केट अभी 10 प्रतिशत महंगा
जब किसी राष्ट्र में समृद्धि के साथ शेयर मार्केट में रुचि का विस्तार होता है तो यह एक लंबी तेजी का आधार होता है। भारतीय शेयर मार्केट के लिए एक बड़ी चिंता अभी भी कंपनियों के लाभ में बड़ी वृद्धि न होना है, जिसके कारण विदेशी संस्थागत निवेशक भारत को तुलनात्मक महंगा मार्केट मान रहे हैं। एक सामान्य मूल्यांकन के आधार पर भारतीय शेयर मार्केट अभी 10 प्रतिशत महंगा कहा जा रहा है जो कॉर्पोरेट की एक वर्ष की लाभ वृद्धि के बराबर हैं परंतु निफ्टी की पी ई अभी 21.96 है जबकि डाउ की 23.37है।यदि इस आधार पर देखा जाए तो अमेरिकी मार्केट तो भारत से महंगा है।
आत्मनिर्भर सा शेयर मार्केट बनाने की आवश्यकता
फिर भारत की निफ्टी की पी ई विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के राष्ट्र के लिए बहुत अधिक नहीं है परंतु कुछ बड़े विदेशी निवेशकों के लिए ये उतनी आकर्षक नहीं है क्योंकि उनका निवेश पूरे विश्व में होता है। कुछ दिन पहले चीन सस्ता लग रहा था,अब जापान से लेकर ऐसी ही बातें आ रहीं हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक पिछले सप्ताह में भी 8347 करोड़ रुपए के शेयर नकद संभाग में बिकवाल ही रहे। भारत को आवश्यकता एक आत्मनिर्भर सा शेयर मार्केट बनाने की है।अभी भी 146 करोड़ लोगों के देश में सक्रिय डीमैट खातों की संख्या 5 करोड़ ही है। संख्या बढ़ी है पर अभी भी पर्याप्त नहीं है।
भारतीय का एक डीमैट खाता हो
हर अहर्ता प्राप्त भारतीय का एक डीमैट खाता होना चाहिए ताकि राष्ट्र की प्रगति में वो अपना योगदान भी दे सके तथा उसका लाभ भी ले सके। इसके लिए सरकार की भी शेयर मार्केट में निवेश को आकर्षक बनाना होगा।शेयर मार्केट में निवेश पर कर छूट तथा शेयर लाभ पर कर दर में कमी ऐसे उपाय हो सकते हैं। इससे भारतीय शेयर मार्केट में घरेलू निवेशकों का प्रभाव बढ़ेगा। चतुर सुजान मोदी भारत को, भारतीयों के लिए कम लागत की घरेलू खपत की बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए लगें हैं ताकि ट्रंप टैरिफ जैसी बातों से देश की अर्थव्यवस्था को अधिक प्रभावित होने से बचाया जा सके। अब यदि शेयर मार्केट के लिए भी सीधे प्रोत्साहन के उपायों की भी घोषणा कर दें तो शेयर मार्केट भी शक्तिशाली बना रह सकता है।
नए चार करोड़ भारतीय शेयर मार्केट में निवेश को उत्सुक
सेबी की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले एक वर्ष में नए चार करोड़ भारतीय शेयर तथा प्रतिभूति मार्केट में निवेश कर सकते हैं। यह एक शुभ संकेत है परंतु कुछ कंपनियां के द्वारा झूठी घोषणाओं के माध्यम से भारतीय निवेशकों को धोखा देने की प्रवृति से बचाना भी होगा । 2024 में भारतीय परिवारों की संपत्ति में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।जब संपत्ति बढ़ती हैं तो उससे अर्थव्यवस्था तथा शेयर मार्केट को भी दीर्घावधि में लाभ होता है। इस सप्ताह अंत से प्रमुख भारतीय कंपनियों के वित्तीय वर्ष 25- 26 की दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम घोषित होने आरंभ होंगे। ये वित्तीय परिणाम भी शेयर मार्केट की दिशा पर प्रभाव डालेंगे,शेयर विशेष पर तो डालेंगे ही। अतः शेयर निवेश निर्णय में इसका ध्यान रखें।
भारत की रेटिंग बी ए ए पर स्थिर रखी है
ट्रंप के ही अमेरिका की प्रमुख रेटिंग संस्था मूडी ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत की रेटिंग बी ए ए पर स्थिर रखी है।अमेरिकी शेयर मार्केट नई ऊंचाई बनाते जा रहें हैं।ट्रंप के दबाव से वहां ब्याज दरों में बड़ी कमी आ सकती है।ट्रंप ने तो कहा है कि अमेरिका ने ब्याज दरें 2 प्रतिशत होनी चाहिए । ब्याज दरों में कमी से डॉलर इंडेक्स तथा यूएस बॉन्ड यील्ड में भी बढ़ी गिरावट आ सकती है जो विश्व के प्रमुख शेयर मार्केट के लिए अच्छा ही सकता है। ब्रेंट क्रूड 64.5 डॉलर प्रति बैरेल हो धराशाई ही है। इजरायल हमास समझौते के भी समाचार आ रहें हैं। भारतीय शेयर मार्केट ने पिछले एक वर्ष में विश्व के अन्य मार्केट की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है। लगता है अब भारतीय शेयर मार्केट के अच्छे प्रश्न के दिन आने वाले हैं। जिन शेयरों के भाव अंडरवल्यूड हैं उनमें निवेश करें। stock | stock market | stock market india | stock market news | stock market today