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टैरिफ 90 दिन के लिए स्थगित करने की घोषणा से विश्व के प्रमुख शेयर मार्केट में बड़ा उछाल आया

पिछले सप्ताह ट्रंप के द्वारा टैरिफ  90 दिन के लिए स्थगित करने की घोषणा से पूरे विश्व के प्रमुख शेयर मार्केट में बड़ा उछाल आया। 9 अप्रैल को तो अमेरिकी शेयर मार्केट के सूचकांक डाउ में 2963 अंकों की तेजी आई।नैस्डेक 1857 अंक चढ़ा।

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Shashank Bhardwaj
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पिछले सप्ताह ट्रंप के द्वारा टैरिफ  90 दिन के लिए स्थगित करने की घोषणा से पूरे विश्व के प्रमुख शेयर मार्केट में बड़ा उछाल आया। 9 अप्रैल को तो अमेरिकी शेयर मार्केट के सूचकांक डाउ में 2963 अंकों की तेजी आई।नैस्डेक 1857 अंक चढ़ा।
इस तेजी का प्रभाव भारत के शेयर मार्केट पर भी दिखा तथा निफ्टी में 11अप्रैल को  429 अंकों का उछाल आया।10 अप्रैल को भारतीय शेयर मार्केट बंद थे, नहीं तो ये उछाल और भी अधिक हो सकता था।

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तेजी ने मार्केट में नई जान सी फूंकी

घनघोर अनिश्चितता तथा मंदी के वातावरण,अवधारणा में अमेरिकी टैरिफ स्थगन के कारण आई तेजी ने मार्केट में नई जान सी फूंकी।
परंतु यह एक दिनी उछाल न हो कर एक ठोस तेजी का आरंभ हो,इसके लिए अमेरिकी मार्केट को 9 अप्रैल के उच्च स्तर  40778 से ऊपर बंद होना आवश्यक सा है।वैसे सप्ताह के अंत में डाउ 619 अंक बढ़ 40212 पर बंद हुआ है जो शेयर मार्केट की तेजी के थोड़ा सुदृढ़ होने का संकेत तो है ही।
निफ्टी ने 11 अप्रैल को 22923 का उच्च स्तर छुआ था।इसके ऊपर बंद होने पर तथा 23200 के स्तर को पार करने पर निफ्टी में एक अच्छी तेजी बनने की पुष्टि हो सकती है।वैसे मार्केट मंदी के मनोभावों से उबरने का संकेत देने लगे हैं।ट्रंप टैरिफ पर नरम लगने लगे हैं ।इससे मार्केट की अभी की सबसे बड़ी चिंता में बड़ी कमी आई है।

ट्रंप को भी टैरिफ के कड़े यथार्थ का अनुभव

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प्रतीत होता है कि ट्रंप को भी टैरिफ के कड़े यथार्थ का अनुभव होने लगा है।अब वो टैरिफ के मोर्चे पर अधिक व्यवहारिक तथा लचीलापन दिखा सकते हैं।
भारतीय शेयर मार्केट की दो बड़ी चिंताएं कॉरपोरेट के लाभ में वृद्धि का धीमा होना तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का बना रहना है।पिछले सप्ताह भी एफ lआईआई ने नकद संभाग में 20911 करोड़ रुपए के शेयर बेचे तथा अप्रैल माह में अभी तक 34641 करोड़ रुपए के शेयर बेच चुकें हैं,स्टॉक फ्यूचर में पिछले सप्ताह उनकी बिकवाली  2396 करोड़ रुपए की रही।घरेलू संस्थागत निवेशक अच्छा क्रय कर रहें हैं,उन्होंने इस माह अभी तक 27588 करोड़ रुपए का क्रय किया है।वर्तमान परिस्थितियों में मार्केट में बड़ी तेजी के लिए एफआईआई की खरीद आनी आवश्यक है।क्या था कि एक समय घरेलू खुदरा निवेशक भी मार्केट में बड़े क्रेता थे,उनकी लिवाली से भी विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली आत्मसात हो जा रही थी।परंतु पिछले छह माह से जब मार्केट में गिरावट का वातावरण रहा तो उससे खुदरा निवेशकों का मनोबल भी गिरा तथा खरीद भी कम हुई।ऐसे में विदेशी निवेशकों की सतत तथा बड़ा विक्रय अपेक्षाकृत आत्मसात नहीं हो पाया एवं  मार्केट में बड़ी गिरावट देखी गई।

वैसे भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत निवेशकों की संख्या 22 करोड़ से अधिक हो गई है,पिछले छह माह में 2 करोड़ से अधिक निवेशक जुड़े हैं।यद्यपि यूनिक पंजीकृत निवेशकों की संख्या 11.3 करोड़ हुई है।पिछले छह माह की लगातार सी तथा बड़ी मंदी में 2 करोड़ नए खाते खुलना  दर्शाता है कि भारतीय निवेशकों की रुचि  भारतीय शेयर मार्केट में बढ़ रही है।ये पूरी शक्ति के साथ यदि पुनः मैदान में आते हैं तो फिर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का प्रतिकार कर भारतीय शेयर मार्केट तेज हो सकते हैं।

आवश्यकता मात्र इस अवधारणा के पुनःस्थापना की है कि शेयर के मूल्य बढ़ सकते हैं,बढ़ते भी हैं। अभी तो लगातार तथा बड़ी गिरावट से इस परिपेक्ष्य का आत्मविश्वास हिल सा गया है। विदेशी निवेशकों की चिंता अधिक मूल्यांकन तथा कंपनियों की आय में धीमी वृद्धि आदि है।अभी क्रूड तथा मेटल के मूल्यों में बड़ी कमी एवं केंद्रीय रिजर्व बैंक के द्वारा ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था की लगात कम हो सकती है,खपत में उछाल आ सकता है।सरकार के द्वारा भी पूंजीगत व्यय में वृद्धि हो रही है।इससे कम्पनियों के लाभ में 10 से 15 प्रतिशत वृद्धि का समय लौट सकता है।ऐसा हुआ तो भारतीय शेयर मार्केट  का मूल्यांकन सस्ता एवं न्यायोचित हो सकता है तथा तब एफआईआई की खरीद पुनः प्रारंभ हो सकती है , मार्केट एक बड़ी तेजी की ओर बढ़ सकता है।
अभी की मंदी में बहुतायत में शेयरों के मूल्यों में बहुत बड़ी कमी आ गई है।ऐसे शेयरों में काफी बड़ा उछाल देखा जा सकता है।
मार्च में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 25082 करोड़ रुपए रहा जो 11 महीने का निचला स्तर हैं।वित्त वर्ष 24 -25 में औसत मासिक एसआईपी 24113 करोड़ रुपए रहा जो 23 -24 में 16602 हजार करोड़ रुपए था।

टैरिफ युद्ध का खतरा अभी समाप्त  नहीं  हुआ है।ऐसे में भारत को अपनी अच्छी घरेलू खपत की अर्थव्यवस्था की इस मोर्चे पर और भी  सशक्त बनाना होगा।इसके लिए ब्याज दरों में बड़ी कटौती करनी होगी। चूंकि डॉलर इंडेक्स में लगभग 9 प्रतिशत की कमी आ चुकी है,100 से भी नीचे आ गया है,अतः ब्याज दरों में शीघ्र बड़ी कमी करनी चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में खपत को अधिक बढ़ाया जा सके।
अभी आरबीआई ने.25 दर की कमी की है। ढूंढ कर अच्छे शेयर खरीदें।बहुत अच्छा लाभ हो सकता है। अभी  के टैरिफ युद्ध युग में भारत सबसे अच्छी स्थिति में लग रहा है। अमेरिका से बातचीत कर रहा,परिपक्वता का परिचय दिया है,अन्य प्रतियोगी राष्ट्रों की तुलना में टैरिफ मोर्चे पर लाभ की स्थिति में है।
यह मध्यम से दीर्घ अवधि में भारतीय शेयर मार्केट के लिए बहुत अच्छा भी हो सकता है।

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