मुंबई, वाईबीएन नेटवर्क । भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कई दशकों से बना हुआ है। हालांकि, अगर दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ता है, तो इसका आर्थिक प्रभाव बेहद विनाशकारी हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसी स्थिति में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को ट्रिलियनों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है, साथ ही वैश्विक बाजारों में भी हड़कंप मच सकता है।
युद्ध की स्थिति में क्या होगा आर्थिक असर?
जीडीपी ग्रोथ पर प्रहार: भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन युद्ध की स्थिति में इस पर गंभीर असर पड़ सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, युद्ध के कारण भारत की जीडीपी ग्रोथ 2-3% तक गिर सकती है, जिससे रोजगार और निवेश पर भारी दबाव पड़ेगा।
बाजारों में गिरावट: शेयर बाजार युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। अगर भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष बढ़ता है, तो सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। विदेशी निवेशक (FII) अपना पैसा निकाल सकते हैं, जिससे रुपये की वैल्यू और कमजोर होगी।
तेल की कीमतों में उछाल: भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% तेल आयात करता है। युद्ध की स्थिति में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे पेट्रोल-डीजल और अन्य जरूरी सामानों के दाम बढ़ेंगे। इससे मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) बढ़ने का खतरा है।
रक्षा व्यय में वृद्धि: युद्ध के दौरान देश को अपने रक्षा बजट में भारी इजाफा करना पड़ सकता है, जिससे अन्य विकासात्मक योजनाओं के लिए फंड की कमी हो जाएगी। इसका सीधा असर इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?
पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अगर युद्ध होता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही काफी कम है, और युद्ध की स्थिति में IMF जैसी संस्थाओं से मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
बड़े संघर्ष का वैश्विक प्रभाव
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, इसलिए किसी भी बड़े संघर्ष का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) में व्यवधान आ सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध न सिर्फ दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा। ऐसे में राजनयिक समाधान और शांति वार्ता ही सबसे बेहतर विकल्प है। सरकारों को आर्थिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए। market | share market | today share market news |