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न्यूयॉर्क, 19 जुलाई (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि ब्रिक्स देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने की उनकी धमकी से ये देश डर गए और अगले दिन बैठक में लगभग कोई नहीं आया। हालांकि, हकीकत यह है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन अपने तय कार्यक्रम के अनुसार जारी रहा और 11 सदस्य देशों के सभी नेता दूसरे दिन भी बैठक में शामिल हुए। 6 जुलाई की रात ट्रंप ने यह धमकी सोशल मीडिया पर दी थी, लेकिन अगले ही दिन रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स नेताओं ने पूरी उपस्थिति के साथ दूसरे दिन की बैठक की।
ट्रंप ने ब्रिक्स को “छह देशों का छोटा समूह” बताया था
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ‘जीईएनआईयूएस एक्ट’ पर हस्ताक्षर के दौरान ट्रंप ने ब्रिक्स को “छह देशों का छोटा समूह” बताया और कहा, “वे डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करना चाहते थे और मैंने कहा कि जो भी ब्रिक्स समूह में होगा, उस पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगेगा।” ट्रंप ने दावा किया, “अगले दिन उनकी एक बैठक थी और वहां लगभग कोई नहीं पहुंचा। वे डर गए थे, बोले- हमें छोड़ दो, हम टैरिफ नहीं झेलना चाहते।” हालांकि, ब्रिक्स के भीतर साझा मुद्रा (करेंसी) लाने के विचार को भारत पहले ही खारिज कर चुका है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि डॉलर को हटाने की कोई नीति नहीं है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता का आधार है।
ट्रंप ने कहा, ब्रिक्स के साथ वालों पर 10 प्रति अतिरिक्त टैरिफ
ट्रंप ने कहा, “अगर वे वास्तव में ब्रिक्स मुद्रा बनाने की कोशिश करते हैं, तो वह प्रयास बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा। मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कर भी पाएंगे। वे तो अब बैठक करने से भी डरते हैं।” 6 जुलाई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा था, “जो भी देश ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों के साथ खड़ा होगा, उस पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगेगा।”
जीईएनआईयूएस एक्ट पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान ट्रंप ने कहा कि डॉलर का वैश्विक रिजर्व मुद्रा बने रहना अमेरिका के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “अगर हमने यह खो दिया, तो यह एक विश्व युद्ध हारने जैसा होगा। हम किसी को भी हमारे साथ खेल खेलने नहीं दे सकते।” trump tariff brics | donald trump | DonaldTrump | 245% tariff Trump | China trade deal Trump not present in conten