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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत की अर्थव्यवस्था 4 लाख करोड़ डॉलर का आंकड़े छू चुकी है, देश में भाजपा और केंद्र की सरकार इसको लेकर पीठ थपथपा रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान जीडीपी को लेकर बड़ा बयान देकर वाह-वाही लूट चुके हैं। मोदी ने कहा कि भारत ने जापान को पछाड़ दिया है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी शक्ति बन चुका है। लेकिन क्या यह वाकई जश्न मनाने लायक खबर है? ऐसा हम नहीं गुरुग्राम की एक स्टार्टअप कंपनी के फाउंडर आशीष एस का वायरल लिंक्डइन पोस्ट बता रहा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि देश की इकोनॉमी भले ही चौथी सबसे बड़ी है लेकिन प्रति व्यक्ति आय देखें तो जितनी भारत में आज है उतनी जापान में 1950 के दशक में थी। उन्होंने लिखा है ये उपलब्धि जरूर है, लेकिन यह एक आईना भी है।
जापान की बराबरी में लगेंगे 50 साल
आशीष एस ने पोस्ट में लिखा कि भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी उसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी अफ्रीका के 60 फीसदी देशों से भी कम है। अगर पीपीपी यानी परचेसिंग पावर पैरिटी के हिसाब से भी देखें तो भारत अभी भी जापान से काफी ज्यादा पीछे है। और ये तब है जब जापान वहीं का वहीं खड़ा रहा कोई विकास नहीं किया। उनका मानना है कि भारत को जापान की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 22 वर्ष लगेंगे। भारत की जीडीपी ज्यादा है लेकिन हर एक भारतीय कितना कमाता है ये ज्यादा महत्वपूर्ण है, लेकिन इस मामले में भारत जापान से काफी पीछे है।
यदि जमीनी सच्चाई को देखें तो भारत को जापान की क्वालिटी लाइफ तक पहुंचने में तो 50 साल लग सकते हैं। वहां का जीवन स्तर काफी प्रीमियम है और भारतीयों का जीवन स्तर काफी अलग है। उस तरह की क्वालिटी लाइफ तक पहुंचने के लिए 50 साल लगेंगे।
क्या है भारत की स्थिति?
2025 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी करीब 2400 डॉलर है।
यह केन्या, मोरक्को और कोट डीवोयर जैसे देशों से भी कम है।
साउथ अफ्रीका, लीबिया और मॉरिशस जैसे देशों से तो बहुत ही कम है।
कई अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अब नॉमिनल जीडीपी और पीपीपी दोनों पैमानों पर भारत से आगे निकल चुकी हैं।
कहां पीछे हो गया भारत?
पोस्ट के मुताबिक, भारत के टॉप 10% लोग देश की कुल आय का करीब 57% कमाते हैं।
निचले 50% लोगों को सिर्फ 15% हिस्सा मिलता है।
देश की 42% वर्कफोर्स अब भी खेती-किसानी से जुड़ी है जो कि एक कम उत्पादकता वाला सेक्टर है और सिर्फ 16% जीडीपी में योगदान करता है। ये असंतुलन भारत की कुल उत्पादकता को नीचे खींचता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी अधूरी और बिखरी हुई हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य विकास में आगे हैं जबकि यूपी और बिहार जैसे जनसंख्या-भरे राज्य प्रति व्यक्ति जीडीपी में अब भी राष्ट्रीय औसत से भी काफी नीचे हैं।