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Kanpur News : बुजुर्ग ने ट्रेन के आगे कूदकर समाप्त कर ली जीवन लीला, खेतों में गेहूं काटने का गया था परि‍वार

सचेडी में बीमारी से परेशान बुजुर्ग ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लीं, घटना के समय परिजन खेत पर गेंहू काटने गए थे, जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुँचे तो बुजुर्ग का शव देख सभी बिलख पड़े!

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Saras Bajpai
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पोस्टमार्टम फोटो

कानपुर के पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद लोग

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता (Kanpur News)

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कानपुर, सचेडी में बीमारी से परेशान बुजुर्ग ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लीं, घटना के समय परिजन खेत पर गेंहू काटने गए थे, जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुँचे तो बुजुर्ग का शव देख सभी बिलख पड़े, वही पुलिस ने मामले की जाँच पड़ताल कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

 सचेडी थाना क्षेत्र बिलासपुर गांव निवासी दीनू किसान है परिवार में पिता दुलीचंद्र (70) माँ शारदा देवी तीन बहन है, बेटा नीलू ने बताया की पिता को कई सालों से पेट में टीवी की बीमारी से परेशान थे कई सालों से उनका सरकारी हॉस्पिटल से उपचार भी चल रहा था मगर उनको आराम न मिलने से वह परेशान रहते थे, मंगलवार वह बहनो और माँ के साथ खेत पर गेंहूँ काटने चले गए थे पिता घर पर अकेले थे, देर शाम करीब 6 बजे वह गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर रेलवे लाइन पर जाकर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर लीं, गांव के कुछ लोगों ने फ़ोन कर पिता के ट्रेन से कट जाने की सूचना दी, जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुँचे तो पिता का छत विछत शव देख सभी के होश उड़ गए, परिजनों ने 112 नंबर डायल कर घटना की जानकारी दी, जानकारी मिलते ही जीआरपी पुलिस और थाने ka फ़ोर्स मौके पर पहुंचा, पुलिस ने घटना की जाँच पड़ताल कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया,

बीमार से ऊब  गए थे बुजुर्ग दुलीचंद्र

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कानपुर, बेटे नीलू ने रोते बिलखते बताया की पिता जी टीवी रोग की दवा खा खाकर ऊब गए थे, दवा खाने के बाद भी उनको आराम नहीं मिलता था जिस वजह से वह अक्सर परेशान रहते थे, अक्सर वह मरने की बात किया करते थे जिस वजह से मंगलवार को उन्होंने घर में खुद को अकेला पाकर जान दे दी,

बेटे से बोला था दे दो जहर मै मर जाहु

कानपुर, बेटे नीलू ने बताया की पिता टीवी की बीमारी से इतना त्रस्त थे की वह कभी कभी माँ से वा हमसे भी कहते थे की हमको जहर दे दो तो हम khaa ले क्योंकि अब हम परेशान हो गए है और दवा भी अब नहीं खाई जाती है जिसपर परिवार के लोग पिताजी को जल्द ठीक होने का दिलासा देकर शांत कराते थे, लेकिन उनको नहीं पता था की वह ऐसा कदम उठा लेगे।

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