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Crime News : सिराज उर रहमान पर धारा 152 के तहत केस – जानिए पूरा मामला

विजयनगरम में सिराज उर रहमान पर BNS Act 152 के तहत मामला दर्ज, पुलिस कार्य में बाधा का आरोप। कानून के सम्मान और जिम्मेदारी की बहस फिर गरमाई। पढ़ें पूरी डिटेल्स।

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Ajit Kumar Pandey
ANDHRA POLICE
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पुलिस पर हमला या विरोध केवल कानून तोड़ना नहीं, व्यवस्था पर हमला होता है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में जो हुआ, वह सिर्फ एक एफआईआर नहीं, एक चेतावनी है। जब जिम्मेदार नागरिक ही कानून की अनदेखी करें, तो समाज को खतरा होता है। धारा 152 लगना कोई मामूली बात नहीं है। आइए समझते हैं सिराज उर रहमान के खिलाफ मामला आखिर क्यों बना सुर्खियों में।

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आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में पुलिस कार्रवाई के दौरान उत्पन्न तनाव ने नया मोड़ ले लिया है। सिराज उर रहमान नाम के व्यक्ति पर पुलिस की ड्यूटी में रुकावट डालने और हिंसक रवैया अपनाने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। यह घटना 20 मई 2025 को विजयनगरम द्वितीय टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई।

पुलिस पर हमला बना सिर दर्द, धारा 152 का सीधा असर

सिराज उर रहमान पर आरोप है कि उन्होंने एक पुलिस ऑपरेशन के दौरान न सिर्फ हस्तक्षेप किया बल्कि पुलिस बल के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया। BNS की धारा 152 सीधे तौर पर उन लोगों पर लागू होती है जो किसी सरकारी सेवक के कार्य में बाधा डालते हैं, विशेषकर जब वह व्यक्ति अपनी ड्यूटी निभा रहा हो।

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इस मामले में सिराज पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं क्योंकि यह सिर्फ एक आम झगड़ा नहीं बल्कि सरकारी कार्य में बाधा का मामला है, जो कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में आता है।

क्या है BNS की धारा 152 – जानिए कानूनी दायरा

भारतीय न्यान संहिता की धारा 152 कहती है कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक सेवक (जैसे कि पुलिसकर्मी) के कार्य में हिंसा या बाधा उत्पन्न करता है, तो यह दंडनीय अपराध है। इसके तहत व्यक्ति को जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

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इस केस में पुलिस ने अन्य संबंधित धाराएं भी लगाई हैं, जो दर्शाती हैं कि सिराज का आचरण गंभीर प्रकृति का था।

सोशल मीडिया पर फैला मामला – दो राय में जनता

घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की राय बंटी हुई नजर आई। कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस ने ज्यादा सख्ती दिखाई, जबकि अधिकतर यूज़र्स ने सिराज उर रहमान के रवैये को अनुचित ठहराया।

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इस केस ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आम जनता को सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार है?

कानून का सम्मान ही असली नागरिकता है

  • किसी भी लोकतंत्र में कानून का सम्मान सर्वोच्च होता है। यदि हर कोई अपनी मर्जी से सरकारी अधिकारियों के काम में दखल देगा तो सिस्टम कैसे चलेगा?
  • विजयनगरम का यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के क्या मायने हैं।
  • सिराज उर रहमान के खिलाफ दर्ज हुआ यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। बीएनसी 152 जैसे कानूनों का सख्ती से पालन न केवल जरूरी है बल्कि व्यवस्था की नींव को मजबूत करता है।

क्या आप इससे सहमत हैं? क्या कानून का उल्लंघन करने वालों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए? नीचे कमेंट करें और अपनी राय ज़रूर दें। 

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