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दिल्ली दंगेः पुलिस ने थोप दिया था झूठा मुकदमा, सच जान भड़के जज

अदालत ने दिल्ली पुलिस को छह लोगों पर झूठा मामला थोपने के लिए फटकार लगाई। इन लोगों पर 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान अजीजिया मस्जिद के पास आगजनी करने का आरोप लगाया गया था।

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Shailendra Gautam
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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः 2020 में हुए दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने बहुत सारे लोगों पर मुकदमा दर्ज करके उनको जेल में डाला था। लेकिन जैसे-जैसे ये मामले अदालत पहुंचे, इनमें से अधिकतर में कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने झूठे मुकदमे बनाए थे। ताजा मामले में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को छह लोगों पर झूठा मामला थोपने के लिए फटकार लगाई। इन लोगों पर 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान अजीजिया मस्जिद के पास आगजनी करने का आरोप लगाया गया था। एडिशनल सेशन जज प्रवीण सिंह ने मामले के सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया।

मामले को सुलझाना था तो थोप दिया झूठा मुकदमा

एडिशनल सेशन जज प्रवीण सिंह ने 25 अगस्त को दिए अपने फैसले में कहा कि यह स्पष्ट है कि केवल मामले को सुलझाने के लिए आरोपियों पर एक झूठा मामला थोपा गया था। मामले का एकमात्र चश्मदीद गवाह एचसी विकास इन आरोपियों के मामले में पूरी तरह से अविश्वसनीय है। सभी आरोपों से बरी होने के हकदार हैं। बरी किए गए आरोपी ईशु गुप्ता, प्रेम प्रकाश, राज कुमार, मनीष शर्मा, राहुल और अमित शामिल हैं। इन सभी लोगों पर आरोप था कि इन लोगों ने अजीजिया मस्जिद के पास एक स्कूटी, घरों और दुकानों में आग लगाने वाली भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था।

आईओ ने सबूतों से छोड़छाड़ कर रची झूठी कहानी

निचली अदालत ने पाया कि दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी (आईओ) ने मामले को बंद करने के लिए सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ की। उन्होंने एक काल्पनिक कहानी तैयार की। अदालत ने कहा कि इससे आरोपियों के अधिकारों का हनन हुआ है। अदालत ने कहा कि मुझे यह मानना ​​होगा कि आईओ ने सबूतों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। इससे आरोपियों के अधिकारों का गंभीर हनन हुआ है। इन सबी लोगों पर शायद सिर्फ यह दिखाने के लिए आरोप पत्र दायर किया गया है कि मामला सुलझा लिया गया है।

आरोपी थे हिरासत में, तस्वीरों से कराई पहचान

अदालत ने कहा कि आईओ की रिपोर्ट को ढंग से देखे बगैर थाना प्रभारी और सहायक पुलिस आयुक्त ने आरोप पत्र को आगे बढ़ा दिया। अदालत ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी और जांच के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कई विसंगतियां और प्रक्रियात्मक खामियां थीं। अदालत ने कहा कि वो यह समझने में नाकाम है कि जब आरोपी पहले से ही हिरासत में थे तो उनकी न्यायिक टीआईपी करने के बजाय तस्वीरों के माध्यम से उनकी पहचान की प्रक्रिया क्यों अपनाई गई।

पुलिस कमिश्नर के पास भेजा फैसला, एक्शन की उम्मीद

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कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। मामले को पुलिस आयुक्त के पास भेजा गया है जिससे पुलिस अफसरों पर एक्शन लिया जा सके। आदेश में कहा गया है कि ऐसे मामलों से जांच प्रक्रिया और कानून के शासन से लोगों का विश्वास उठता है। इसलिए इस फैसले की प्रति पुलिस आयुक्त के पास भेजी जाए जिससे वो अगला कदम उठा सकें। 

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