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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः एचडीएफसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ शशिधर जगदीशन ने मुंबई हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (लीलावती अस्पताल) की तरफ से उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। हालांकि जब मामला जस्टिस एएस गडकरी और राजेश पाटिल के सामने सुनवाई के लिए आया तो दोनों जजों ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
लीलावती में एमडी का मुफ्त इलाज और दो करोड़ रुपये की रिश्वत
एफआईआर में जगदीशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन पर आरोप है कि लीलावती ट्रस्ट पर कंट्रोल बनाए रखने में चेतन मेहता समूह की मदद करने के लिए 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत उन्होंने ली। शिकायत में दावा किया गया है कि ट्रस्ट के मामलों में हेरफेर करने के लिए वित्तीय और रणनीतिक सलाह के बदले में पैसे का भुगतान किया गया था। ट्रस्ट ने 9 जून को जारी एक बयान में आरोप लगाया कि 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत एक व्यापक योजना का हिस्सा थी, जिसमें जगदीशन ने मेहता समूह को ट्रस्ट को लूटने और इसके प्रबंधन पर प्रभाव बनाए रखने में सहायता प्रदान की। ट्रस्ट ने दावा किया कि जगदीशन और उनके परिवार को लीलावती अस्पताल से मुफ़्त उपचार मिला। एक ऐसा लाभ जिसे एचडीएफसी बैंक ने न तो स्वीकार किया और न ही खंडन।
एमडी का वकील बोला- हम तो कर रहे थे लोन की वसूली
आज सुनवाई के दौरान जगदीशन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अमित देसाई ने आरोपों का खंडन कर इसे बेतुका दावा बताया। देसाई ने कहा कि यह सबसे बेतुके आरोपों में से एक है कि उन्हें ट्रस्टियों से पैसे मिले। उन्होंने तर्क दिया कि एफआईआर इस वजह से कराई गई क्योंकि एचडीएफसी बैंक ने मेहता परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी स्प्लेंडर जेम्स लिमिटेड के खिलाफ वसूली कार्यवाही की थी। इस कंपनी पर 31 मई तक 65.22 करोड़ रुपये की देनदारी थी। देसाई ने कहा कि ये कार्रवाई ट्रस्टियों में से एक के पिता के स्वामित्व वाली कंपनी के खिलाफ बैंक की वसूली कार्यवाही के बाद की गई है।
उन्होंने कहा कि शिकायत तभी दर्ज की गई जब ट्रस्ट केंद्रीय वित्त मंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से सहानुभूति जुटाने में विफल रहा। उन्होंने तर्क दिया कि अब वो हमारे खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लीलावती ट्रस्ट के मुखौटे का इस्तेमाल कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक ने सार्वजनिक रूप से आरोपों की निंदा करते हुए उन्हें दुर्भावनापूर्ण और निराधार बताया है, जिसमें कहा गया है कि कानूनी शिकायतें मेहता की कंपनी से लंबे समय से बकाया राशि वसूलने के प्रयासों को पटरी से उतारने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।mumbai | Crime
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