/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/16/0HOCklhDjpVNgbK6k3gh.jpg)
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में मंगलवार को मुठभेड़ में मारा गया बसव राजू माओवादी आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा था। 70 वर्षीय बसव राजू आंध्र प्रदेश के विजयनगरम का रहने वाला था। उसने वारंगल के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया था। माओवाद का दामन थामने से पहले बसव राजू स्कूल और जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी था। 70 साल के बसवराजू को सबसे ज्यादा दुर्दांत नक्सली माना जाता था।
बसवराजू की अगुवाई में की गई थी 76 जवानों की हत्या
बसवराजू को उन हमलों की अगुवाई करने के लिए जाना जाता है, जिसमें माओवादियों ने चिंतलनार में 76 सीआरपीएफ कर्मियों को मार डाला था। 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के घने मुकराना जंगलों में घात लगाकर किए गए हमले में 75 सीआरपीएफ और एक राज्य पुलिस के जवान मारे गए थे। तीन दिन के माओवादी विरोधी अभियान के बाद लौट रही सीआरपीएफ की पार्टी पूरी रात यात्रा करने के बाद सुबह करीब 6 बजे आराम कर रही थी, जब उन पर पहाड़ी की चोटी से हजार से ज्यादा माओवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। सीआरपीएफ की आवाजाही से वाकिफ नक्सलियों ने अपने हमले को बेहद सटीक तरीके से अंजाम दिया था। जवानों को हिलने का भी मौका नहीं मिल पाया था। नक्सलियों ने एक एंटी-लैंडमाइन वाहन को उड़ाने के बाद अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी थी। नक्सली सीआरपीएफ टीम के पास मौजूद सभी हथियार लूटने में कामयाब हो गए थे।
झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर हमला बसवराजू ने किया था
झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर घात लगाकर हमला कराने की साजिश भी उसी की रची हुई थी। इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल भी मारे दए थे। कांग्रेस नेताओं को चाकू घोंपकर मार दिया गया था। मई 2013 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की परिवर्तन रैली के दौरान नक्सलियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की हत्या कर दी थी। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से अधिक लोग इस हमले में मारे गए थे। कहते हैं कि बसवराजू कर्मा को बेहद नापंसद करता था। नक्सलियों के निशाने पर बस्तर टाइगर के नाम से जाने जाने वाले महेंद्र कर्मा ही थे। नक्सलियों ने उन्हें 50 से अधिक गोली मारी थी।
बसवराजू आरईसी वारंगल के छात्र संघ अध्यक्ष था। उसने रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन के बैनर तले चुनाव लड़ा था। उस समय बसव राजू को नंबाला केशव राव के नाम से जाना जाता था। यह वह समय था जब पूरा वारंगल कट्टरपंथी संगठनों से प्रभावित था। 80 के दशक में वो माओवादी बन गया था वह कम उम्र से ही सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार ग्रुप की ओर आकर्षित था। 80 के दशक की शुरुआत में वो इसमें शामिल हो गया। धीरे धीरे वो बढ़ा होता गया। इतना कि उसने सीपीआई (एमएल) की कमान अपने हाथ में ले ली।
बसवराजू ने गणपति को जबरन कर दिया था रिटायर
बसवराजू ने पूर्व महासचिव मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फगणपति से 2017 में सीपीआई (एमएल) का चार्ज ले लिया था। इसकी वजह गणपति के खराब स्वास्थ्य को बताया गया था। हालांकि, सीपीआई (माओवादी) ने इस बदलाव की घोषणा 2018 में ही की। 10 नवंबर 2018 को जारी एक प्रेस बयान में माओवादियों ने घोषणा की कि मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फगणपति ने अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींच लिए हैं। गणपति 25 वर्षों तक इसके सर्वोच्च नेता रहे थे - 12 वर्ष सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार के प्रमुख के रूप में और 13 वर्ष पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के विलय के बाद सीपीआई (माओवादी) के प्रमुख के रूप में।
2018 को माओवादियों ने घोषणा की किगणपति ने पीछे हट गए हैं और नए महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू हैं। गणपति 2004 में पीपुल्स वार और एमसीसी के विलय के बाद पहले महासचिव थे, जिससे सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ। माना जाता है कि हटने के बाद वह फिलीपींस भाग गया था। वहीं उसकी मौत हो गई। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि बसवराजू ने उसे वहीं मरवा दिया था।
बसवराजू की मौत को कितना अहम माना जा रहा है, इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सरकार इसे माओवाद आंदोलन के खात्मे के तौर पर ले रही है। आपरेशन से जुड़े लोगों का कहना है कि बसवराजू जैसा नेता अब उनके पास नहीं है। टेक्नोक्रेट बसवराजू ऐसी हमले करने के लिए जाना जाता था जो सुरक्षा बलों को भी भौचक कर देते थे। 70 सीआरपीएफ जवानों की हत्या उसने ऐसे ही की थी।
Basava Raju, radical student, armed commando, Basava Raju’s death, blow to Maoists, Chhattisgarh Basava Raju Encounter, Top Naxal leader, CPI (Maoist)