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नशे के कारोबारियों को शह दे रही थी पुलिस, हाई कोर्ट ने उठाया ये कदम

हाईकोर्ट ने सूबे के डीजीपी को आदेश दिया कि वो ये बताएं कि NDPS एक्ट के तहत अब तक कितने केस दर्ज हुए। उन केसों का ब्योरा भी तलब किया गया है जिनमें पिछले छह माह से आरोपियों को अरेस्ट तक नहीं किया है।

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः हरियाणा के डीजीपी को सपने में भी ये अंदाजा नहीं होगा कि कोर्ट किस तरह से उनको एक पैर पर खड़ा कर सकती है। नशे के कारोबारियों के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाते हुए हाईकोर्ट ने सूबे के डीजीपी को आदेश दिया कि वो ये बताएं कि NDPS
एक्ट के तहत अब तक कितने केस दर्ज हुए। साथ ये भी बताने को कहा है कि उन केसों का ब्योरा भी अदालत को दिया जाए जिनमें पिछले छह माह से आरोपियों को पुलिस ने अरेस्ट तक नहीं किया है। 

हरियाणा पुलिस पर बरसा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा कि इस न्यायालय ने यह भी पाया है कि हरियाणा में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की जांच की कोई निगरानी नहीं की जा रही है।

बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि डीजीपी के हलफनामे में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर की वास्तविक संख्या होनी चाहिए। छह महीने से अधिक समय से गिरफ्तार नहीं किए गए आरोपियों की लिस्ट भी उन्हें कोर्ट को देनी होगी। जस्टिस शेखावत ने कहा कि हलफनामे में यह भी बताना जरूरी है कि पुलिस ने ऐसे अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। क्या उन मामलों में आईओ के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिनमें उनकी ओर से लापरवाही पाई गई थी।

पुलिस से पूछा- कितनों को घोषित किया भगोड़ा

अदालत ने यह भी विवरण मांगा कि क्या ऐसे आरोपियों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 84 के तहत भगोड़ा घोषित करने की कार्यवाही शुरू की गई थी। यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि क्या ऐसे भगोड़ों की चल और अचल संपत्तियों की कुर्की के लिए पुलिस ने अपने इलाके की अदालत में किसी तरह का आवेदन दिया था। हलफनामा अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर से पहले पेश करना होगा। 

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एडवोकेट आदित्य सांघी और कार्तिक मित्तल ने इस मामले में बेंच की सहायता की। यह निर्देश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें 6 फरवरी को मंडी डबवाली पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले की जांच पुलिस से वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में अपील की गई थी कि जांच कोई निष्पक्ष एजेंसी करे। 

जस्टिस शेखावत ने तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता 12 मामलों में संलिप्त था। मामलों से साफ दिखता है कि याचिकाकर्ता एक आदतन अपराधी और कुख्यात ड्रग्स तस्कर है। 6 फरवरी को केस दर्ज हुआ था और छह महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ऐसे ड्रग्स तस्कर के ख़िलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है। इससे साबित होता है कि पुलिस के अधिकारी इस मामले में अभियुक्तों के साथ मिले हुए हैं।

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