आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ऑन-ड्यूटी जूनियर डॉक्टर के साथ वीभत्स बलात्कार और हत्या के मामले में सियालदह अदालत के नामित न्यायाधीश द्वारा शनिवार (18 जनवरी, 2025) को फैसला सुनाया जाएगा। आपको बता दें कि पिछले साल देश भर में इस मामले को लेकर आक्रोश और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन भी हुआ था, जिसकी जांच हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस से लेकर के CBI को दे दिया था।
CBI ने इस मामले में civic volunteer संजय रॉय को मुख्य आरोपी करार दिया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक संजय का DNA पीड़िता में मिला है। साथ ही, पीड़िता के नाखूनों के नीचे पाए गए खून और स्किन के निशान मुख्य आरोपी संजय रॉय के शरीर पर लगी चोटों से पूरी तरह मेल खाते हैं।
पिता ने इन्साफ की गुहार लगाई
मृत डॉक्टर के पिता ने निष्पक्ष फैसले की उम्मीद जताते हुए कहा कि परिवार अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहें हैं। पिता ने कहा, “अदालत द्वारा सभी चीजों को देखने और विचार करने के बाद हमें एक अच्छा निर्णय मिलेगा। हम अदालतों का रुख कर रहे हैं,”। मृत महिला डॉक्टर के पिता ने ये भी कहा कि वो इन्साफ के लिए 5 महीने क्या 5 साल भी इंतजार कर सकते हैं, मगर वो इन्साफ की भीख नहीं मांगेंगे। वे इन्साफ के लिए लड़ाई लड़ेंगे।
क्या था पूरा मामला
जांच के पूरे चरण के दौरान CBI ने मामले में सिर्फ एक चार्जशीट दायर किया है, जहां उसने सिविक वालंटियर संजय रॉय को बलात्कार और हत्या के अपराध में 'एकमात्र मुख्य आरोपी' के रूप में पहचाना। विशेष अदालत के न्यायाधीश की कोई भी टिप्पणी, रॉय को दोषी ठहराने के अलावा, मामले से पहले कोलकाता पुलिस द्वारा की गई जांच के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ और बदलाव के बहुचर्चित पहलू पर कोई प्रकाश डालेगी। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था।
आर.जी. के एक सेमिनार हॉल से पीड़ित डॉक्टर का शव बरामद होने के ठीक एक दिन बाद कोलकाता पुलिस ने रॉय को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि सीबीआई ने आर. जी. के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी गिरफ्तार किया था। ताला पुलिस स्टेशन के पूर्व SHO अभिजीत मंडल को सबूतों से छेड़छाड़ करने और उन्हे बदलने के आरोप में बाद में उसी स्पेशल कोर्ट ने 'डिफ़ॉल्ट जमानत' दे दी थी क्योंकि सीबीआई 90 दिनों के भीतर उनके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर करने में विफल रही थी।