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जिस फ्राड को 23 साल से दर ब दर तलाश कर रही थी CBI वो अमेरिका में मिली

सीबीआई की एक टीम अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद मोनिका को लेकर भारत लौट रही है। सीबीआई के अनुसार मोनिका कपूर 2002 में सामने आए एक आयात-निर्यात धोखाधड़ी मामले में आरोपी है और तब से फरार है।

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः बात साल 2002 की है। एक महिला ने सरकार को करोड़ों का चूना लगाया। जब तक खेल समझ में आ पाता  तब तक वो देश छोड़कर भाग निकली। गई भी तो अमेरिका, जहां एजेंसियों के लिए उसे ला पाना उतना आसान नहीं है। लेकिन सीबीआई दो दशक तक उसके पीछे लगी रही और वो भारत आ रही है।

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सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर 2002 में गायब हो गई थी मोनिका

अमेरिका भागने के दो दशक से भी ज्यादा समय बाद सीबीआई ने बुधवार को मोनिका कपूर को हिरासत में ले लिया। बीस साल पहले उन पर लगभग 1.44 करोड़ रुपये के आयात-निर्यात घोटाले का आरोप है। सीबीआई की एक टीम अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद कपूर को लेकर भारत लौट रही है। सीबीआई के अनुसार मोनिका कपूर 2002 में  सामने आए एक आयात-निर्यात धोखाधड़ी मामले  में आरोपी है और तब से फरार है।

भाईयों के साथ ड्यूटी फ्री सोने का लाइसेंस हथियाकर बनाए करोड़ों रुपये

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मेसर्स मोनिका ओवरसीज की मालकिन मोनिका ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर 1998 में शिपिंग बिल, इनवॉइस और निर्यात व प्राप्ति के बैंक प्रमाणपत्रों सहित निर्यात दस्तावेजों में जालसाजी की। जाली दस्तावेजो के आधार पर उन्होंने 2.36 करोड़ रुपये मूल्य के ड्यूटी फ्री सोने के आयात के लिए छह पुनःपूर्ति (replenishment)  लाइसेंस प्राप्त किए। मोनिका कपूर और उनके भाइयों ने पुनःपूर्ति लाइसेंस अहमदाबाद स्थित मेसर्स दीप एक्सपोर्ट्स को प्रीमियम पर बेच दिए। मेसर्स दीप एक्सपोर्ट्स ने उन्हीं लाइसेंसों का उपयोग किया और ड्यूटी फ्री सोना आयात किया, जिससे 1998 में सरकारी खजाने को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

2006 को निचली अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था

सीबीआई ने शिकंजा कसा तो मोनिका कपूर अमेरिका भाग निकली। फरवरी, 2006 को निचली अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। अदालत ने 26 अप्रैल, 2010 को उनके ख़िलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया था। उनके ख़िलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था। सीबीआई को जब पता चला कि मोनिका कपूर अमेरिका में है तो अक्टूबर, 2010 को अमेरिकी अधिकारियों को प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा गया। मार्च, 2004 को मोनिका, राजन और राजीव के ख़िलाफ धोखाधड़ी, जालसाज़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत आरोपपत्र दायर किया गया था। साकेत की अदालत ने दिसंबर, 2017 में राजन और राजीव को दोषी ठहराया था।

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सीबीआई प्रवक्ता ने आगे कहा कि यह प्रत्यर्पण न्याय की दिशा में एक बड़ी सफलता है। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की परवाह किए बिना हमने एक ऐसी अपराधी  को पकड़ा जो अमेरिका में छिपकर बैठी थी। अब मोनिका कपूर को अदालत में पेश किया जाएगा और उनको मुकदमे का सामना करना होगा।

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