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एक पत्रकार की हत्या, जिसने एक IPS और राजनेता की जिंदगी में ला दिया भूचाल

कानून को देखें तो केवल एक आरोपी जेल में बंद है। आरके शर्मा को हाईकोर्ट बरी कर चुका है। शिवानी के पति पर किया गया शक साक्ष्य में तब्दील नहीं हुआ। तो फिर आखिर शिवानी की हत्या किसने कराई। कानूनी नुक्तों में उलझकर ये मामला 26 साल बाद भी अनसुलझा ही है।

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Shailendra Gautam
Shivani Murder Mystery

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः जनवरी 1999 में पूर्वी दिल्ली के एक अपार्टमेंट में एक ऐसी हत्या हुई, जिसने हर दिन बीतने के साथ एक नई सनसनी पैदा की। सनसनी भी ऐसी कि जिसमें एक ऐसा IPS अफसर उलझ गया, जिसे असाधारण माना जाता था। दिन और बीते तो पत्रकार की हत्या की कहानी में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दिग्गज मंत्री भी उलझते दिखे। मामला पत्रकार से जुड़ा था तो मीडिया ने इसे खास तरजीह दी। तब लगा कि जो गुनहगार हैं उनको सजा मिल कर ही रहेगी। अलबत्ता 26 साल बीतने के बाद कोर्ट को न तो पुलिस की थ्योरी समझ में आई और न ही हत्या का मकसद। आलम ये है कि ज्यादातर दोषी माने गए लोग जेल से बाहर आ चुके हैं। नहीं सामने आया है तो वो सच जिसके लिए शिवानी को नृशंषता से मारा गया। Crime | Betrayal and Murder | Delhi Murder,Delhi Murder Case

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जिसने मारा, उससे वाकिफ थीं शिवानी

दिन था 23 जनवरी 1999 का। इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार शिवानी भटनागर की पूर्वी दिल्ली स्थित उनके अपार्टमेंट में हत्या कर दी गई थी। वारदात के वक्त शिवानी अपने फ्लैट में दो महीने के बेटे के साथ थीं। उनके शरीर पर चाकू के घाव और गला घोंटने के निशान थे। पुलिस ने जब क्राइम सीन को क्रिएट किया तो पता चला कि जो भी हत्यारा था उसे शिवानी बखूबी जानती थीं, क्योंकि फ्लैट में फोर्स एंट्री का कोई नामोनिशान तक मौजूद नहीं था। 3 साल तक पुलिस माथापच्ची करती रही। लेकिन उसके हाथ कुछ लग नहीं पा रहा था। 

दफ्तर के सिस्टम में था रविकांत के नाम का पासवर्ड

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शिवानी के पति भी पत्रकार थे पर वो भी ज्यादा कुछ नहीं बता पा रहे थे। हां पुलिस को ये बात पता लग गई थी कि शिवानी के रविकांत शर्मा से प्रगाढ़ संबंध थे। जब ज्यादा कुछ नहीं हाथ लग पाया तो पुलिस ने शिवानी के दफ्तर यानि इंडियन एक्सप्रेस का रुख किया। उसके उस सिस्टम को खोलने की कोशिश की गई जिसपर वो काम करती थी। लेकिन सिस्टम में पासवर्ड था। पुलिस ने वो तमाम नाम डालकर देखे जो शिवानी, उसके पति, बच्चे से जुड़े थे पर सिस्टम नहीं खुला। आखिर में एक अफसर ने सिस्टम में रविकांत का नाम डाला। हैरत की बात थी कि सिस्टम खुल गया था। यहीं से शिवानी की हत्या के मामले में आरके शर्मा की एंट्री होती है। पुलिस उनके नजदीकी लोगों पर हाथ डालती है। 

आरके शर्मा के घर पर दिल्ली पुलिस ने की रेड

दिल्ली पुलिस 30 जुलाई 2002 को हरियाणा के एक पूर्व पुलिस अधिकारी के बेटे श्रीभगवान को गिरफ्तार किया। ये पुलिस अधिकारी IPS रविकांत शर्मा के मातहत काम कर चुके थे। कुछ अरसा और बीता तो पुलिस ने 2 अगस्त को हरियाणा के पंचकूला में आरके शर्मा के घर छापा मारा, वो तो नहीं मिले पर पुलिस के हाथ एक आरोपी प्रदीप शर्मा लग गया। पुलिस की IPS के घर पर छापेमारी के बाद ये साफ होने लगा कि शिवानी की हत्या में उनका हाथ है। आरके शर्मा फरार हो चुके थे। 6 अगस्त 2002 को पंचकूला की अदालत में उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दी, जो खारिज कर दी गई। इसके अगले ही दिन दिल्ली पुलिस ने आर के शर्मा की तस्वीर जारी की और 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। जैसे ही पुलिस ने IPS को फरार और इनामी मुजरिम घोषित किया उनकी पत्नी सामने आ गईं। 8 अगस्त को आरके शर्मा की पत्नी मधु ने शिवानी की हत्या के पीछे एक प्रभावशाली व्यक्ति का हाथ होने की बात कहकर सीबीआई जांच की मांग की। उधर दिल्ली पुलिस तेज रफ्तार से विवेचना में जुटी रही। 

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आईपीएस की पत्नी ने जब लिया प्रमोद महाजन का नाम

12 अगस्त 2002 में दिल्ली पुलिस को एक आरोपी प्रदीप शर्मा की लिखावट और उंगलियों के निशान की फोरेंसिक रिपोर्ट मिली। फरार आरके शर्मा ने दिल्ली की एक अदालत में जमानत याचिका दायर की, जो अगले ही दिन खारिज कर दी गई। IPS की पत्नी ने 15 अगस्त को एक धमाका कर दिया। मधु ने शिवानी की हत्या में सीधे तौर पर भाजपा नेता प्रमोद महाजन की संलिप्तता का आरोप लगाया। महाजन ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि शिवानी के साथ उनका पेशेवर रिश्ता था। लेकिन तीर तो कमान से निकल चुका था। महाजन का नाम मामले में सामने आने के बाद ये तो तय हो गया कि बहुत सी चीजें हैं जो दबाई जा रही हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने आरोप के अगले ही दिन प्रमोद महाजन को क्लीन चिट दे दी। लेकिन मामला बेहद पेंचीदा हो चुका था। अगस्त के महीने में ही पुलिस ने मामले में सह-आरोपी सत्य प्रकाश को धर दबोचा तो एक अन्य आरोपी वेद प्रकाश शर्मा को भी हिरासत में ले लिया गया। 

पत्नी और बेटी के साथ होता है हादसा तो सरेंडर कर देते हैं शर्मा

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उधर IPS फरार था। हरियाणा सरकार ने आरके शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया। तभी अचानक एक दिन शर्मा की पत्नी और बेटियों के साथ ऐसा हादसा पेश होता है जिससे शर्मा का हौसला पस्त हो जाता है आखिरकार 27 सितंबर को शर्मा ने अंबाला की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर देता है। अक्टूबर में पुलिस ने मामले में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें सभी आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जिनमें 302 (हत्या), 120 (बी) (षड्यंत्र), 201 (साक्ष्यों को गायब करना) शामिल हैं। मार्च 2003 अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। 20 मार्च से मामले में सुनवाई शुरू होती है। इसी दौरान दिल्ली पुलिस ने शिवानी के फ्लैट से कुछ संवेदनशील दस्तावेज मिलने का दावा किया, जो इस बात की पुष्टि करते थे कि IPS उसे गोपनीय दस्तावेज दिया करता था। 

शिवानी की बहन ने शर्मा पर जड़ा आरोप

शिवानी की बहन सेवंती ने अदालत को बताया कि कुछ ऐसे गोपनीय दस्तावेज शिवानी के पास थे जो शर्मा के लिए खतरा बन सकते थे। ये बेहद अहम सरकारी दस्तावेज थे। पत्रकार ने शर्मा को बेनकाब करने की योजना बनाई थी। इसी दौरान शिवानी के पति राकेश भटनागर ने स्वीकार किया कि उन्हें शर्मा और उनकी पत्नी की दोस्ती के बारे में पता था। 


लोअर कोर्ट से सजा पर हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को किया बरी

18 मार्च 2008 में लोअर कोर्ट ने शिवानी की हत्या की साजिश रचने के लिए निलंबित आईजीपी आर के शर्मा और तीन अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया। लेकिन 12 अक्टूबर 2011 को दिल्ली हाईकोर्ट ने आरके शर्मा और 2 अन्य को बरी कर दिया। ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे सामने मौजूद साक्ष्यों की गुणवत्ता बेहद निचले दर्जे की है। अभियुक्तों को संदेह का लाभ मिलता है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट की तरफ से आजीवन कारावास की सजा पाए चार लोगों में से केवल एक हिटमैन प्रदीप शर्मा की सजा को बरकरार रखा है। 

प्रधानमंत्री कार्यालय में आरके शर्मा से मिली थीं शिवानी

शिवानी इंडियन एक्सप्रेस की तेज तर्रार पत्रकार मानी जाती थीं। उनके बड़े नेताओं से कितने गहरे संबंध थे इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनकी शादी में तत्कालीन डिप्टी पीएम एलके आडवाणी समेत कई मंत्री पहुंचे थे। वो प्रधानमंत्री कार्यालय को कवर करती थीं। आरके शर्मा उस दौरान वहीं तैनात थे। यहीं उनकी मुलाकात शर्मा से हुई और दोनों नजदीक आ गए। उसी दौरान शिवानी को लंदन जाना पड़ा। उनके फोन रिकार्ड बताते हैं कि शिवानी लंदन से घंटों-घंटों तक एक ही नंबर पर बात करती थीं। दिल्ली पुलिस का दावा है कि वो नंबर आरके शर्मा के पास था। दोनों बेहद करीब थे। इतने कि शिवानी अपने सिस्टम का पासवर्ड शर्मा के नाम पर ही रखा था। लेकिन बाद के दौर में कुछ ऐसा हुआ कि दोनों के बीच तल्खी पैदा होने लगी। वो भी इतनी कि शिवानी को रास्ते से ही हटा दिया गया। 

जब आया सेंट किट्स से जुड़े दस्तावेजों को जिक्र

कहा तो ये भी जाता है कि शर्मा बेहद शातिर अफसर थे। उनके पास सेंट किट्स मामले से जुड़े कुछ राजनीतिक रूप से संवेदनशील दस्तावेज थे। इनको वो शिवानी के हवाले कर चुके थे। लेकिन शिवानी वो दस्तावेज शर्मा को वापस नहीं दे रही थी और इसके लिए उसे बेनकाब करने की धमकी दे रही थी, इसलिए उसने उसकी हत्या कर दी। दिल्ली पुलिस का शक शिवानी के पति पर भी था। राकेश भटनागर से पुलिस ने तकरीबन 70 बार पूछताछ की। लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। प्रमोद महाजन का नाम इस मामले में सामने जरूर आया पर पुलिस उनके पास पहुंचने की हिम्मत भी नहीं जुटा सकी। खैर, कानून को देखें तो केवल एक आरोपी जेल में बंद है। आरके शर्मा को हाईकोर्ट बरी कर चुका है। शिवानी के पति पर किया गया शक साक्ष्य में तब्दील नहीं हुआ। तो फिर आखिर शिवानी की हत्या किसने कराई। कानूनी नुक्तों में उलझकर ये मामला 26 साल बाद भी अनसुलझा ही है।

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