नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Delhi high court ने दिल्ली पुलिस को सूचित किये बिना राष्ट्रीय राजधानी में एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के मामले में ग्रेटर नोएडा के पुलिस आयुक्त को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि उचित प्रकियाओं का पालन किये बिना अंतर-राज्यीय गिरफ्तारियां नहीं की जा सकतीं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अंतर-राज्यीय गिरफ्तारी के मामले में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
दिल्ली निवासी को क्यों लिया था हिरासत में बताएं
पुलिस आयुक्त को मामले की जांच करने तथा अदालत को उन पुलिस अधिकारियों के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया गया जिन्होंने दिल्ली निवासी को हिरासत में लिया था, साथ ही उस वाहन के बारे में भी बताने को कहा गया जिसमें उसे ले जाया गया था। याचिकाकर्ता को 18 फरवरी को दिल्ली के कनॉट प्लेस से उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्थानीय पुलिस को कोई पूर्व सूचना दिए बिना पकड़ लिया और अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। याचिकाकर्ता को बाद में 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने रिहा करने का आदेश दिया।
मामले की गहराई से जांच हो..
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक नजर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध थी। पीठ ने 20 फरवरी को कहा, ‘‘इस मामले पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि निर्धारित प्रक्रियाओं में से किसी का भी पालन नहीं किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि गिरफ्तारी के समय इसका (गिरफ्तारी का) कोई आधार भी नहीं बताया गया। यदि निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है, तो गिरफ्तारी कानून के विरूद्ध होगी।’’ फैसले में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता को रिहा कर दिया गया है, लेकिन यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अंतर-राज्यीय गिरफ्तारी के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन यूपी पुलिस द्वारा किया जाए।
क्यों निजी वाहनों का प्रयोग किया
अदालत सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करना चाहेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस तरह से यूपी/नोएडा की पुलिस ने याचिकाकर्ता को दिल्ली पुलिस को कोई सूचना दिए बिना उठाया और क्यों निजी वाहनों का इस्तेमाल किया गया और यूपी पुलिस के जवान वर्दी में नहीं थे।’अदालत ने पूरे मामले की जांच के बाद ग्रेटर नोएडा, यूपी के पुलिस आयुक्त को वस्तुस्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या अंतर-राज्यीय गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली पुलिस के साथ किसी प्रोटोकॉल पर सहमति बनी है, जैसा कि ऐसे मामलों में उच्च न्यायालय के निर्देश हैं।