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दाऊद को जब मांगनी पड़ गई थी यूपी के गैंगस्टर से मदद, धमाकों से गूंजी थी मुंबई

जीजा की हत्या की खबर जैसे ही दाऊद के पास पहुंची वो गुस्से से पागल हो गया। जब उसे पता चला कि दो शूटर्स पुलिस की निगरानी में जेजे हास्पिटल में भरती हैं तो उसने उनकी हत्या करने का मन बना लिया।

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Shailendra Gautam
Dawood Ibrahim, India Pakistan War

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः दाऊद इब्राहिम अपराध की दुनिया का सबसे बड़ा नाम है। एक ऐसा नाम जो 80 के दशक में उभरा और फिर दुनिया भर में छा गया। बेशक वो भारत में नहीं रहता लेकिन यहां उसके काले साम्राज्य की चमक पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। हालांकि एक बार दाऊद पर जब सीधा हमला उसके विरोधी गैंग ने किया तो वो बुरी तरह से तिलमिला गया। वो जवाब देना चाहता था पर दे नहीं पा रहा था। मुंबई में उसके लड़के अरुण गवली गैंग से पंगा लेने में घबरा रहे थे। तब उसने यूपी के गैंगस्टरों से मदद मांगी थी। उसके बाद सामने आया जेके हास्पिटल शूटआउट। एक ऐसी वारदात जिसने मुंबई पुलिस को सिरे से हिलाकर रख दिया। 

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अरुण गवली और दाऊद के बीच हुई थी गैंगवार

वाकया 1992 का है। दाऊद तब भारत में ही था। करीम लाला के गैंग को वो पूरी तरह से खत्म कर चुका था। लेकिन दूसरे कई गैंग उसके सामने सिर उठाने लग पड़े थे। इसमें से एक अरुण गवली यानि डैडी का गैंग। गवली ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड में तेजी से कदम आगे बढ़ाए। इतनी तेजी से कि दाऊद भी उससे एक बार घबरा गया। उसने गवली पर नकेल कसने के लिए उसके कुछ गैंग मेंबर्स को मरवा दिया। गवली इससे इतनी ज्यादा खार खा गया कि उसने दाऊद पर सीधा हमला करने का मन बना लिया। गवली ने अपने लड़कों को कहा कि वो तैयार रहें। 

दाऊद के जीजा को गवली ने बनाया था निशाना

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दरअसल, गवली ने दाऊद की बहन हसीना पारकर के पति इब्राहिम पारकर उर्फ लंबू को ठिकाने लगाने का मन बना लिया। उसने अपने चार-पांच शूटर्स को दाऊद के जीजा को मारने भेजा। गवली के पंटरों ने अपना काम तो कर दिया लेकिन जब वो भाग रहे थे तब उनमें से दो विपिन शेर और शैलेंष हलदांकर भीड़ के हत्थे चढ़ गए। लोगों ने उनको बुरी तरह से पीटा। पुलिस आई तो उसने दोनों को अपनी गिरफ्तार में लेकर अस्पताल में दाखिल कराया। बाद में दोनों को जेजे हास्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया। दोनों की निगरानी मुंबई पुलिस खुद कर रही थी। 

बहनोई की हत्या से पगला गया था दाऊद


जीजा की मौत की खबर जैसे ही दाऊद के पास पहुंची वो गुस्से से पागल हो गया। जब उसे पता चला कि दो शूटर्स पुलिस की निगरानी में जेजे हास्पिटल में भरती हैं तो उसने उनकी हत्या करने का मन बना लिया। दाऊद ने ये काम सुभाष ठाकुर को सौंपा। उसने अपना पूरा जोर लगाया लेकिन वो गवली के शूटर्स तक नहीं पहंच पाया। मुंबई पुलिस को पता था कि दाऊद जवाबी हमला कर सकता है लिहाजा दोनों शूटर्स की निगरानी एक तेजतर्रार डीसीपी को दी गई थी।

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शूटर्स को मरवाना चाहता था दाऊद पर नहीं मरवा सका


सुभाष ठाकुर जब मुंबई के पंटरों से गवली के शूटर्स को नहीं मरवा पाया तो दाऊद परेशान हो गया। उसकी सालों से बनाई साख दांव पर लग चुकी थी। हत्या जीजा की हुई थी तो बदला उतना ही बड़ा होना जरूरी थी। दाऊद जब मुंबई के गैंग से गवली के शूटर्स को नहीं मरवा पाया तो उसने सुभाष ठाकुर से कहा कि वो यूपी जाए। इस समय यूपी के गैंगस्टर हर तरफ छाए थे। मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच भी गवली और दाऊद जैसी अदावत चल रही थी।


सुभाष ठाकुर को यूपी भेज मुख्तार से मांगी थी मदद

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सुभाष ठाकुर आया और मुख्तार अंसारी से मिला। उसने उसको मुसलमान होनो का वास्ता दिया और दाऊद से बात भी कराई। लेकिन मुख्तार उस समय राजनीति में आ चुका था। उसने सपाट जवाब दिया कि अब हम माननीय हैं। इस तरह के टुच्चे काम करके अपनी भद्द नहीं पिटवाएंगे। सुभाष ठाकुर शर्मिंदा होकर लौट गया। लेकिन फरमान दाऊद का था तो पूरा हर हाल में होना था। वो मुख्तार के जानी दुश्मन बृजेश सिंह से मिला। बृजेश काम करने के लिए तैयार हो गया। 


बृजेश सिंह ने अंजाम दिया था जेजे हास्पिटल शूटआउट


सितंबर 1992 में वो शूटआउट सामने आया जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। बृजेश सिंह बेहद शातिर था। उसने पहले जेजे हास्पिटल की रेकी की और फिर रणनीति तैयार की। वो डाक्टर का कोट पहनकर अपने गुर्गों के साथ जेजे हास्पिटल में दाखिल हुआ। पहले ताबड़तोड़ बम फेंके गए फिर एके 47 और विदेशी पिस्टलों से गोलीबारी की गई। मुंबई पुलिस जब तक कुछ समझ पाती तब तक बृजेश ने शैलेंष हलदांकर को मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस उसे रोकने की कोशिश कर रही थी तो उसने पुलिस के दो अफसरों को भी यमलोक भेज दिया। 


गवली के शूटर और दो पुलिस के अफसर गए थे मारे

मुंबई पुलिस इस वारदात से भौचक रह गई थी। उसे ये तो पता था कि दाऊद कुछ बड़ा करने जा रहा है लेकिन उसे ये नहीं पता था कि बेहद भीड़भाड़ वाले जेजे हास्पिटल में वो शूटआउट करा सकता है। फिर शुरू हुई धरपकड़। पुलिस ने 30 लोगों को आरोपी बनाया। बृजेश मुंबई से भाग निकलने में कामयाब हो गया था। वो बनारस पहुंच गया था। हालांकि बाद के दौर में जब उसे लगा कि सरकार में शामिल हो चुका मुख्तार उसे पुलिस के हाथों निपटवा सकता है तो उसने मुंबई जाकर सरेंडर कर दिया। कुछ साल जेल में रहा और फिर जमानत पर बाहर आ गया। 

देशभर के अंडरवर्ल्ड में छा गया था बृजेश सिंह

उस वारदात के बाद बृजेश सिंह सारे देश में छा गया। सबको पता चल गया था कि जो काम दाऊद के दुर्दांत शूटर नहीं कर सके उसे यूपी के गैंगस्टर ने अंजाम दे दिया था। यूपी के गैंगस्टर उसके बाद पूरे देश में छा गए। बृजेश सिंह और दाऊद का साथ बाद के दौर में भी बना रहा लेकिन जब बृजेश का जानी दुश्मन मुख्तार अंसारी इतना ताकतवर हो गया कि सरकार भी उसके इशारे पर नाचने लगी तब बृजेश अंडर ग्राउंड हो गया। सालों बाद वो उड़ीसा से पकड़ा गया। फिलहाल बृजेश जेल से बाहर आ चुका है और राजनीति में अपना असर बढ़ा रहा है।  


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