Advertisment

Delhi Government का फरमान ऊंची इमारतों, होटलों और व्यावसायिक परिसरों में एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य

वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सभी ऊंची इमारतों, होटलों, वाणिज्यिक परिसरों और हवाईअड्डों तथा निर्माण स्थलों जैसे प्रमुख प्रतिष्ठानों में ‘एंटी-स्मॉग गन’ लगाना अनिवार्य होगा।

author-image
Mukesh Pandit
SMOG GUN

Photograph: (File)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सभी ऊंची इमारतों, होटलों, वाणिज्यिक परिसरों और हवाईअड्डों तथा निर्माण स्थलों जैसे प्रमुख प्रतिष्ठानों में ‘एंटी-स्मॉग गन’ लगाना अनिवार्य होगा। सिरसा ने कहा कि दूसरों से कार्रवाई की अपेक्षा करने से पहले दिल्ली को अपनी व्यवस्था में सुधार करना होगा। साथ ही उन्होंने सभी संबंधित विभागों को प्रदूषण से निपटने के लिए एक विस्तृत खाका तैयार करने का निर्देश दिया

MANINDAR SING
Photograph: (File)

प्रदूषण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर जोर

पर्यावरण मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में दिल्ली हवाई अड्डे सहित अन्य प्रमुख स्थलों की भूमिका पर डेटा मांगा। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिरसा ने कड़े प्रदूषण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो नए कानून लाए जाएंगे। दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था और भाजपा ने पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर इसे रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया था। 

निर्माणाधीन ऊंची इमारतों की सूची उपलब्ध कराएं

एमसीडी को मौजूदा और निर्माणाधीन ऊंची इमारतों की विस्तृत सूची उपलब्ध कराने को कहा गया है, जो नए प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों के अधीन होंगी। सिरसा ने कहा कि मौजूदा इमारतों और आगामी परियोजनाओं के लिए अलग-अलग दिशा-निर्देश होंगे, जिससे पर्यावरण नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित होगा। सिरसा ने कहा, वर्ष 2026 तक दिल्ली में कम से कम 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जाएंगे और लैंडफिल कचरे में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए कदम उठाए जाएंगे, तथा साफ किए गए लैंडफिल स्थलों पर पार्क और वन विकसित किए जाएंगे।’ 

कालेजों का सहयोग लिया जाएगा

Advertisment

उन्होंने यह भी कहा कि आईआईटी दिल्ली और दिल्ली के अन्य कॉलेजों को प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में शामिल किया जाएगा। सिरसा ने जोर देकर कहा कि दूसरों को जिम्मेदार ठहराने से पहले दिल्ली को अपने प्रदूषण के स्तर को कम करना होगा। सिरसा ने कहा, ‘दिल्ली का पचास प्रतिशत प्रदूषण शहर के अंदर से ही आता है। दूसरों से कार्रवाई की मांग करने से पहले हमें पहले अपनी समस्याओं को ठीक करना होगा।

पर्यावरणविद भवरीन कंधारी ने कहा कि सरकार को ‘उत्सर्जन को नियंत्रित करने और प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों जैसे उद्योगों, निर्माण गतिविधियों और शहर के मध्य में स्थित जीवाश्म ईंधन संयंत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं।’

Advertisment
Advertisment