/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/01/supreme-court-2025-09-01-12-40-35.jpg)
12वीं की छात्रा ने दायर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त एक्शन, जारी किया नोटिस | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सुप्रीम कोर्ट ने एनसीईआरटी, केंद्र सरकार और 6 राज्यों को एक याचिका पर नोटिस जारी कर इस संवेदनशील मुद्दे पर जवाब मांगा है। यह याचिका एक 12वीं कक्षा की छात्रा काव्या मुखर्जी साहा ने दाखिल की है। समाचार एजेंसी एएनआई ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जारी पोस्ट में कहा है कि दिल्ली के वसंत वैली स्कूल की 12वीं कक्षा की छात्रा काव्या मुखर्जी साहा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता NCERT और SCERT की पाठ्यपुस्तकों में ट्रांसजेंडर समावेशी व्यापक यौन शिक्षा (CSE) की कमी को लेकर चिंतित हैं और देश भर के सभी शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक संवेदनशीलता और ट्रांसजेंडर समावेशी सीएसई के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग करती हैं।
छात्रा का कहना है कि स्कूली किताबों में ट्रांसजेंडरों के लिए सही शिक्षा की कमी है, जिससे उनके प्रति समाज में गलत धारणाएं बनती हैं। यह फैसला लाखों छात्रों और पूरे शिक्षा जगत के लिए एक नई उम्मीद जगा सकता है।
शिक्षा का अधिकार सभी का है, लेकिन अक्सर ट्रांसजेंडर समुदाय को इससे दूर रखा जाता है। काव्या मुखर्जी साहा की याचिका में कहा गया है कि एनसीईआरटी और एससीईआरटी की किताबों में व्यापक यौन शिक्षा का अभाव है। इसका सीधा असर छात्रों की सोच पर पड़ता है। जब बच्चों को ट्रांसजेंडरों के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती, तो वे अक्सर उनके साथ भेदभाव करते हैं। यह याचिका न केवल समावेशी शिक्षा बल्कि एक संवेदनशील समाज के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस केंद्र सरकार, एसीईआरटी, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, मणिपुर और असम जैसे राज्यों को भेजा गया है। कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा है कि वे इस दिशा में क्या कदम उठा सकते हैं। यह दर्शाता है कि अदालत भी इस विषय को कितना महत्वपूर्ण मानती है। शिक्षा जगत में बदलाव की जरूरत यह याचिका सिर्फ किताबों में बदलाव की मांग नहीं है। यह एक मानसिकता बदलने की पहल है। जब स्कूल में ही छात्रों को सभी जेंडर के प्रति सम्मान सिखाया जाएगा, तो वे बड़े होकर एक बेहतर और समावेशी समाज बना पाएंगे।
वर्तमान में, ट्रांसजेंडर समुदाय को अक्सर उपहास और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण जागरूकता की कमी है। इस याचिका के सफल होने पर लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। इस याचिका का परिणाम जो भी हो, इसने समाज और सरकार का ध्यान एक बेहद जरूरी मुद्दे की ओर खींचा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और एनसीईआरटी इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। क्या भारत के स्कूल वास्तव में सभी जेंडर के लिए समावेशी बन पाएंगे?
Supreme Court India | Transgender Education | NCERT Inclusion | Gender Diversity