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Surgical Strike : 29 सितंबर की वो रात जब Indian Army ने POK में मचाया गदर! जानें 40 मिनट की अनकही कहानी

उरी हमले का 9 साल पुराना बदला आज भी गूंजता है। 2016 में 19 जवानों की शहादत पर भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर 40 आतंकियों को मार गिराया। यह कहानी बहादुरी की है जो सुरक्षा नीति बदल दी। क्या पाकिस्तान ने सबक सीखा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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Ajit Kumar Pandey
Surgical Strike : 29 सितंबर की वो रात जब Indian Army ने POK में मचाया गदर! जानें 40 मिनट की अनकही कहानी | यंग भारत न्यूज

Surgical Strike : 29 सितंबर की वो रात जब Indian Army ने POK में मचाया गदर! जानें 40 मिनट की अनकही कहानी | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आज से ठीक 9 साल पहले 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में घुसकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की थी। उरी हमले में शहीद हुए 19 जवानों का बदला लेते हुए भारतीय सेना ने महज 40 मिनट में 7 आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया और करीब 40 आतंकियों को जहन्नुम पहुंचाने का काम किया। यह सर्जिकल स्ट्राइक न सिर्फ बदले की कहानी है बल्कि भारत की सुरक्षा रणनीति में एक बड़ा मोड़ भी। 

यंग भारत न्यूज के इस एक्सप्लेनर में पाकिस्तानी आतंकियों के उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने जो जवाब दिया उस पर चर्चा करेंगे। उरी हमले का जवाब दिए 28 सितंबर 2025 को 9वां साल है। क्या आप जानते हैं कि यह ऑपरेशन कैसे हुआ और इसका असर आज तक क्यों महसूस होता है? आइए, इसकी पूरी पड़ताल करें। 

उरी हमला: एक घातक सुबह जो देश को हिला गई 

साल 2016 की वह सुबह जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में कभी न भूलने वाली थी। 18 सितंबर को तड़के करीब 5:30 बजे चार आतंकवादी भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में घुस आए। वे पाकिस्तान से आए थे और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन से जुड़े माने जाते थे। ग्रेनेड फेंककर और अंधाधुंध गोलीबारी से उन्होंने हमला किया, जिसमें 19 बहादुर सैनिक शहीद हो गए। 19 से ज्यादा जवान घायल हुए। 

यह हमला मुंबई 26/11 के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना गया। कश्मीर घाटी में उस समय पहले से ही तनाव था। जुलाई 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो चुके थे। उरी कैंप में घुसपैठ आसान हुई क्योंकि घास और झाड़ियां कटी नहीं थीं, और गार्ड पोस्ट के बीच समन्वय की कमी थी। 

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हमलावरों के पास पाकिस्तानी मार्किंग वाले हथियार और सामान मिले जो पाकिस्तान की संलिप्तता की ओर इशारा करते थे। लेकिन, पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार कर दिया। यह हमला सिर्फ सैनिकों पर नहीं, पूरे देश की भावनाओं पर था। लोग सड़कों पर उतर आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त कार्रवाई का वादा किया। 

यह वादा पूरा हुआ- कैसे भारत ने जवाब दिया?

बदले की तैयारी: 11 दिनों का साइलेंट प्लानिंग उरी हमले के बाद भारत चुप नहीं बैठा। सरकार और सेना ने तुरंत मीटिंग्स शुरू कीं। डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह ने ऑपरेशन की कमान संभाली। 

11 दिनों में इंटेलिजेंस जुटाई गई, सैटेलाइट इमेजेस और ग्राउंड रिपोर्ट्स से POK में आतंकी लॉन्च पैड्स की लोकेशन पिनपॉइंट की गई। यह प्लानिंग इतनी गोपनीय थी कि सिर्फ चुनिंदा अधिकारी जानते थे। सेना ने स्पेशल फोर्सेस की 4th और 9th पैरा बटालियनों को चुना, जिसमें 70-80 कमांडो शामिल थे। वे रात के अंधेरे में एलओसी पार करने के लिए तैयार हुए। लेकिन सवाल यह है कि ऑपरेशन में क्या-क्या चालाकियां अपनाई गईं? 

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सर्जिकल स्ट्राइक: 40 मिनट का घातक ऑपरेशन 

29 सितंबर 2016 की आधी रात को ऑपरेशन शुरू हुआ। कमांडो एलओसी पार करके 1-3 किलोमीटर अंदर घुसे, नौगाम और पूंछ सेक्टरों से। वे पैदल गए, कोई हेलीकॉप्टर या एयर स्ट्राइक नहीं। हैंड ग्रेनेड्स और रॉकेट लॉन्चर्स से 7 आतंकी ठिकानों को तबाह किया। करीब 35-40 आतंकी मारे गए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। ऑपरेशन महज 40 मिनट चला, और कमांडो सुरक्षित लौट आए। 

एक दिलचस्प बात: कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को पाकिस्तानी रंग में रंगा गया था ताकि दुश्मन भ्रमित हो। लेकिन ऑफिशियल में यह पुष्टि नहीं। 

भारत ने पाकिस्तान के DGMO को सूचना दी कि यह सिर्फ आतंकियों पर हमला है, सीमा पर नहीं। 

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टाइमलाइन ऑफ ऑपरेशन 18 सितंबर: उरी हमला

19-28 सितंबर: प्लानिंग और इंटेल जुटाना। 

29 सितंबर: रात 12:30 बजे शुरू, सुबह 4:30 बजे खत्म। 

29 सितंबर दोपहर: प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान। 

यह स्ट्राइक भारत की नई नीति का संकेत थी – अब हमले का जवाब घर में घुसकर देंगे। लेकिन पाकिस्तान ने क्या कहा? 

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: इनकार और आरोपों का दौर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने इसे नकार दिया। उनके आर्मी चीफ राहिल शरीफ और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि कोई स्ट्राइक नहीं हुई, सिर्फ सीमा पर फायरिंग थी, जिसमें उनके 2 सैनिक मारे गए और 9 घायल। 

उन्होंने दावा किया कि 8 भारतीय सैनिक मारे गए और एक कैद कर लिया। लेकिन, भारत ने इसे झूठ बताया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी बहस छिड़ी। 

कुछ एनालिस्ट्स ने कहा कि कैजुअल्टीज कम थीं, शायद 12-15 आतंकी मारे गए। पाकिस्तान ने एलओसी पर फायरिंग बढ़ा दी, जिससे दोनों तरफ और मौतें हुईं। भारत ने 10,000 नागरिकों को बॉर्डर से हटाया और सतर्कता बढ़ाई। 

भारत में प्रभाव: गौरव का प्रतीक और नीति में बदलाव सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत में उत्साह की लहर दौड़ा दी। 

विपक्ष ने शुरू में सवाल उठाए, लेकिन बाद में जनता के समर्थन को देखते हुए पैंतरा बदली और राहुल गांधी समेत सबने पीएम मोदी की तारीफ की। 

19 सैनिकों को गैलेंट्री अवॉर्ड्स मिले, मेजर रोहित सूरी को कीर्ति चक्र दिया गया। हर साल 29 सितंबर को 'सर्जिकल स्ट्राइक डे' मनाया जाता है। यह ऑपरेशन भारत की काउंटर-टेरर स्ट्रैटेजी का टर्निंग पॉइंट था। 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक इसी की अगली कड़ी थी। कश्मीर में घुसपैठ कम हुई और पाकिस्तान को चेतावनी मिली। लेकिन चुनौतियां बाकी हैं – आज भी एलओसी पर तनाव है। 

इंटेलिजेंस का महत्व: सैटेलाइट और ग्राउंड रिपोर्ट्स से सफलता। 

स्पीड और सरप्राइज: 40 मिनट में मिशन पूरा। 

राजनीतिक इच्छाशक्ति: मोदी सरकार की सख्त नीति। 

आज 2025 में, जब भारत एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहा है, यह दिन हमें याद दिलाता है कि खेल और सुरक्षा अलग-अलग मैदान हैं। लेकिन क्या यह स्ट्राइक वाकई इतनी प्रभावी थी? 

9 साल बाद भी सबक 2025 में उरी और सर्जिकल स्ट्राइक की 9वीं वर्षगांठ पर भारत की सुरक्षा नीति और मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में स्थिरता आई, लेकिन पाकिस्तान से खतरा बरकरार। रीसेंट रिपोर्ट्स में एलओसी पर फायरिंग के मामले बढ़े हैं। यह घटना फिल्मों और किताबों में अमर हो गई, जैसे 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' मूवी। लेकिन असली हीरो वे कमांडो हैं जो बिना नाम के लड़ते हैं। 

क्या भविष्य में ऐसी कार्रवाई की जरूरत पड़ेगी? 

सेना से सेवानिवृत्त कर्नल आरके सिंह और सत्येन्द्र कुमार राठौर कहते हैं कि उरी हमले का बदला लेना आवश्यक था, यह सब तभी होता है जब मजबूत इच्छा शक्ति वाले राजनेताओं के हाथ में देश की बागडोर हो अन्यथा की हालत में ऐसे कितने हमले हुए हम उसका क्या जवाब दिए हैं यह भी देश अच्छी तरह जानता है। लेकिन, साल 2014 के बाद से आर्मी को काफी मजबूत किया जा रहा है। आज साल 2025 तक हमने पाकिस्तान को घुटने पर लाने का काम किया है। इस काम के लिए डिप्लोमेसी और मिलिट्री बैलेंस दोनों जरूरी है। 

वर्तमान परिदृश्य: भारत-पाक रिश्ते- बातचीत रुकी, लेकिन खेल जारी। 

आतंकवाद: जैश और लश्कर अभी सक्रिय। 

भारत की तैयारी: ड्रोन और मॉडर्न वेपन्स से मजबूती। 

यह कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि भविष्य के लिए चेतावनी है। उरी के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए, हमें याद रखना चाहिए कि शांति की कीमत बहादुरी है। 

चुनौतियां और भविष्य की रणनीति सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत ने कई कदम उठाए। 

सार्क समिट का बॉयकॉट, इंडस वॉटर ट्रीटी पर बातचीत रोकना और पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन स्टेटस की समीक्षा। लेकिन चुनौतियां हैं – साइबर थ्रेट्स, ड्रोन अटैक्स, और इंटरनेशनल प्रेशर। 

विशेषज्ञों के मुताबिक, स्ट्राइक ने पाकिस्तान को डराया, लेकिन आतंकवाद खत्म नहीं हुआ। 2025 में, जब दुनिया एआई और टेक पर फोकस कर रही है, भारत को इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत करना होगा। क्या हम तैयार हैं? यह सवाल हर भारतीय को सोचने पर मजबूर करता है। 

अंत में, उरी और सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी साहस, बलिदान और राष्ट्रीय एकता की है। आज के दिन, हम उन शहीदों को सलाम करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा की। 

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