सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आज तक किसी महिला को चीफ जस्टिस आफ इंडिया की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन दो साल बाद ऐसा हो सकता है जब कोई महिला जज सीजेआई की कुर्सी पर बैठकर आर्डर आर्डर करती दिखें। लेकिन ऐसा हुआ भी तो महज 36 दिनों के लिए ही हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट के सीनियारिटी रोस्टर के हिसाब से जस्टिस बीवी नागरथ्ना सीजेआई बनने की कतार में हैं। वो सुप्रीम कोर्ट के इतिहास के तीसरे सबसे न्यूनतम कार्याकाल के लिए सीजेआई की कुर्सी पर बैठेंगी। उनका कार्यकाल 24 सितंबर से शुरू होकर 29 अक्टूबर 2027 तक चलेगा। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल दो ही महिला जज हैं। बीते दिन तक इनकी तादाद तीन थी। लेकिन जस्टिस बेला एम त्रिवेदी बीते दिन रिटायर हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अभी तक 11 महिला जजों को आर्डर आर्डर करने का मौका मिला है। Judiciary | Indian Judiciary
पिता रहे थे भारत के 19वें सीजेआई, खुद होंगी 55वीं
जस्टिस नागरथ्ना को वकालत विरासत में मिली। उनके पिता भी न्यायपालिका में रहे थे। वो ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं, जो भारत के 19वें चीफ जस्टिस आफ इंडिया रहे थे। उन्होंने 1987 से वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। फरवरी 2008 में वो कर्नाटक हाईकोर्ट की एडिशनल जज बनी थीं। दो साल बाद ही उनको परमानेंट कर दिया गया। हाईकोर्ट में 11 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद वो 31 अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। वो सीजेआई बनती हैं तो देश की 55वीं सीजेआई होंगी।
नोटबंदी को गलत ठहराने वाली एकमात्र जस्टिस
जस्टिस बीवी नागरथ्ना का सीजेआई बनना सरकार के लिए बुरा सपना भी साबित हो सकता है। उनके अब तक के कार्यकाल को देखा जाए तो ये लाईन सटीक लगती है। वो उस संवैधानिक बेंच का हिस्सा रही थीं जिसने नोटबंदी का विश्लेषण किया था। खास बात है कि 2016 के फैसले को गलत ठहराने वाली वो एकमात्र जज थीं। उनका कहना था कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने सरकार के प्रस्ताव पर अपना दिमाग लगाए बगैर काम किया। उनकी टिप्पणी की उस दौरान खासी चर्चा हुई थी। उनके स्टैंड से माना जा सकता है कि सीजेआई की कुर्सी पर महज 36 दिनों के लिए उनका बैठना सरकार के लिए मुश्किल भरा भी हो सकता है।
शुक्रवार को रिटायर हुई थीं जस्टिस बेला त्रिवेदी, बार ने नहीं दिया था फेयरवेल
सुप्रीम कोर्ट की एक और तेज तर्रार महिला जस्टिस बेला एम त्रिवेदी बीते दिन रिटायर हो गई थीं। जस्टिस त्रिवेदी कितनी मुखर रही होंगी इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट बार ने उनको फेयरवेल तक नहीं दिया। बार ने पहले ही प्रस्ताव पास कर दिया था कि वो उनको फेयरवेल नहीं देने जा रहा। सीजेआई बीआर गवई ने बार के प्रधानों से अपील भी की लेकिन फिर भी वकील नहीं माने। सुप्रीम कोर्ट में आम धारणा रही थी कि जस्टिस त्रिवेदी वकीलों पर खासी हमलावर रहती थीं। उनकी आपत्ति इस बात को लेकर थी वकील तैयारी करके नहीं आते। वो अक्सर आधी अधूरी याचिकाएं दायर करते हैं। उनकी चिंता कानून से ज्यादा क्लाइंट के हितों को लेकर रहती है।
Justice BV Nagarathna, 55th Chief Justice of India, first woman Chief Justice of India, CJI for 36 days