Advertisment

सीजेआई को सलामी देने पहुंचे थे एडवोकेट, एक बात सुनकर शर्म से झुक गए सिर

CJI 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। उनके सम्मान में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने एक समारोह का आयोजन किया था। हालांकि तमाम वकील सीजेआई को सलामी देने के मकसद से वहां पहुंचे थे। लेकिन एक ऐसा वाकया हुआ जो उनको शर्मसार कर गया।

author-image
Shailendra Gautam
Sanjeev Khanna

वकील अक्सर लंबी-लंबी याचिकाएं तैय़ार करके ले आते हैं कोर्ट

Advertisment

सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि भारत में वकीलों को रिटें तैयार करनी नहीं आती। वकीलों को अभी भी संक्षिप्त याचिका या अन्य कानूनी दस्तावेज तैयार करने की कला सीखनी है, क्योंकि वो अक्सर लंबी-लंबी याचिकाएं तैयार करके अदालतों में ले आते हैं। जज उनकी याचिकाओं में ही उलझ जाते हैं। ये काम का बोझ बढ़ाने वाला सिलसिला है। 
सीजेआई खन्ना ने कहा कि याचिकाएं छोटी होंगी तो ही सुनिश्चित हो सकेगा कि जज वास्तव में केस फाइल पढ़ें। वैसे ही अदालतों में पहले से ही केसों का अंबार लगा है। वकीलों की लंबी लंबी याचिकाएं अदालतों के कामकाज को पेंचीदा बना देती हैं। 

'कम ही अधिक है' की कहावत को अपनाएं एडवोकेट्स

उन्होंने कहा कि वकीलों को 'कम ही अधिक है' की कहावत को अपनाना चाहिए। याचिका जितनी स्पष्ट होगी, वह उतनी ही अधिक फायदेमंद होगी। सीजेआई ने बताया कि एक यूरोपीय अदालत के लिए उन्होंने एक बार एक याचिका का मसौदा तैयार किया था। पुरस्कार पर आपत्तियों से जुड़े मसले में उन्होंने 8 से 9 प्वाइंट रखे थे लेकिन वकील ने उन्हें तीन पर सीमित कर दिया। उनका कहना था कि हमें एक स्पष्ट याचिका की आवश्यकता है। जब आप मामले को अच्छी तरह से तैयार करते हैं और जज ने फाइल पढ़ ली है तो 50 प्रतिशत काम अच्छे से पूरा हो जाता है।

Advertisment

वकीलों के चहरे देखकर मजाकिया लहजे में कही ये बात


सीजेआई की बात सुनकर समारोह में मौजूद वकीलों के चेहरों पर हवाइयां उड़ती दिखीं तो उन्होंने मजाकिया लहजे कहा कि न्यायाधीश के तौर पर हम बहुत उपदेश देते हैं। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था। फिर मुझे एहसास हुआ कि ये बात रखी जानी चाहिए। 
उन्होंने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) से आग्रह किया कि किसी वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त करने के बजाय वो खुद मामलों पर बहस करने का समय निकालें। सीजेआई खन्ना ने कहा वकीलों के लिए जरूरी है कि उनकी तथ्यों पर पकड़ हो। हर मामले के लिए किसी बड़े संवैधानिक सिद्धांत की नहीं, बल्कि तथ्यों की जरूरत होती है। उन्होंने एओआर से आग्रह किया कि वे युवा वकीलों का मार्गदर्शन करें।

बोले- जिस अदालत में पहली बार आया, वहीं से रिटायर हो रहा हूं

Advertisment

सीजेआई खन्ना ने कहा कि वह उसी अदालत से जज के रूप में अपना करियर समाप्त कर रहे हैं, जहां वे युवावस्था में पहली बार गए थे। उन्होंने बताया कि जब मेरे पिता जज थे, तब मैं कभी किसी कोर्ट में नहीं गया। पहली बार जब मैं अदालत गया, तो वह भारत का सुप्रीम कोर्ट था। इंडियन एक्सप्रेस मामले पर बहस हो रही थी और लाल नारायण बहस कर रहे थे। यह मेरा पहला अनुभव था। पास आउट होने के बाद उन्होंने पीएच पारीख के चैंबर में प्रैक्टिस की। आज उसी स्थान पर अपनी यात्रा समाप्त कर रहा हूं।

cji, supreme court, advocates

Indian Judiciary Judiciary India
Advertisment
Advertisment