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पाकिस्तान से टूटा रिश्ता, भारत से उम्मीद: अफगान मंत्री के 5 दिन दिल्ली में क्यों हैं खास?

पाकिस्तान से व्यापार रुकने के बाद, अफगान उद्योग मंत्री अजीजी 5 दिन के लिए भारत में हैं। उनका लक्ष्य चाबहार पोर्ट के जरिए भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना है। क्या अफगानिस्तान के लिए एक नई व्यापारिक राह खुलेगी?

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Ajit Kumar Pandey
AFGANISTAN MINISTER

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अफगानिस्तान के उद्योग मंत्री नूरुद्दीन अजीजी की 5 दिन की भारत यात्रा पाकिस्तान द्वारा सीमा बंद करने के बाद बेहद अहम है। यह दौरा काबुल के लिए वैकल्पिक व्यापार मार्गों की तलाश और भारत के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का संकेत है। दोनों देश निवेश और द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि अफगान व्यापार को नया स्थायी आयाम मिल सके। अफगानिस्तान इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे अपने सबसे पुराने व्यापारिक सहयोगी से कड़ा झटका मिला है। 

पाकिस्तान ने सीमा बंद कर दी है, जिससे अफगान व्यापारियों, खासकर फल और सूखे मेवों के निर्यातकों को 100 मिलियन डॉलर लगभग 830 करोड़ से अधिक का भारी नुकसान हुआ है। यह स्थिति अफगानिस्तान को मजबूर कर रही है कि वह व्यापार के लिए अपने पड़ोसियों से इतर, एक भरोसेमंद और बड़े बाज़ार की ओर देखे - और वह बाज़ार है भारत। 

अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अजीजी का 5 दिन का भारत दौरा इसी अहम बदलाव का संकेत है। यह केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि तालिबान सरकार की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म करना और स्थायी, सुरक्षित व्यापार मार्ग बनाना। क्यों बंद हुई पाकिस्तान की सीमा? 

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। हाल के महीनों में पाकिस्तान द्वारा बार-बार सीमा बंद करने से व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तालिबान सरकार इसे एक बड़ी आर्थिक चुनौती के रूप में देख रही है, लेकिन अजीजी का बयान स्पष्ट है "यह नुकसान धर्म, राष्ट्र और अमीरात की रक्षा के लिए मंजूर है।" 

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उन्होंने अपने व्यापारियों से साफ़ कह दिया है कि अब पाकिस्तान के बजाय अन्य देशों पर ध्यान केंद्रित करें। यह बयान पाकिस्तान को एक सीधा संदेश है कि अफगानिस्तान अब उसकी व्यापारिक 'धमकियों' के आगे झुकने वाला नहीं है। भारत क्यों है अफगानिस्तान के लिए 'नेक्स्ट बिग थिंग'? 

भारत और अफगानिस्तान के आर्थिक संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन अब इन्हें रणनीतिक रूप से मजबूत किया जा रहा है। भारत, अफगानिस्तान के सामान के लिए एक बड़ा और स्थिर बाज़ार उपलब्ध कराता है। 

स्थायी समाधान: अफगानिस्तान अब हवाई मार्ग और क्षेत्रीय रेल नेटवर्क के अलावा ईरान के चाबहार बंदरगाह जैसे समुद्री मार्गों का उपयोग करके भारत के साथ व्यापार को स्थायी रूप से मजबूत करना चाहता है। 

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निवेश के अवसर: अक्टूबर में अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने खनिज, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए एक द्विपक्षीय व्यापार समिति बनाने पर सहमति जताई थी। यह अफगान अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दे सकता है। 

राजनयिक संकेत: भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को अब पूर्ण दूतावास में बदल दिया है, जो तालिबान सरकार के साथ गहरे और रचनात्मक सहयोग का एक स्पष्ट संकेत है। यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में महत्वपूर्ण रहा है। 

India International Trade Fair में अफगान स्टॉल

अपनी यात्रा के दौरान, मंत्री अजीजी ने इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर IITF में भी हिस्सा लिया। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे भारतीय खरीदारों और उपभोक्ताओं को अफगान उत्पादों की गुणवत्ता और उपलब्धता का संदेश देता है। 

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IITF में भागीदारी के मायने सीधा संपर्क: अफगान व्यापारियों को भारतीय बाज़ार की ज़रूरतों को समझने का मौका मिला। 

व्यापार संवर्धन: सूखे मेवे, कालीन और हस्तशिल्प जैसे पारंपरिक अफगान निर्यात के लिए नए ऑर्डर मिलने की संभावना बढ़ी। 

विश्वास बहाली: यह दिखाता है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, आर्थिक सहयोग दोनों देशों के लिए प्राथमिकता है। 

वैकल्पिक व्यापार मार्गों की तलाश: पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म करने के लिए अफगानिस्तान सक्रिय रूप से वैकल्पिक व्यापार मार्गों पर काम कर रहा है। 

ये मार्ग अफगानिस्तान को मध्य एशिया, चीन और भारत जैसे बड़े बाज़ारों से जोड़ेंगे। 

वैकल्पिक मार्गमहत्वईरान का चाबहार पोर्ट
भारत के लिए सबसे आसान और सुरक्षित समुद्री पहुंच।चीन का वाखान कॉरिडोरचीन के विशाल बाज़ार तक पहुंचने की संभावना।
मध्य एशियाई देशकज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान जैसे देशों के साथ रेल और सड़क नेटवर्क का विस्तार।हवाई मार्ग Air Corridor


अजीजी की यह यात्रा केवल आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान के व्यापार को "पश्चिमी पड़ोसी पर कम निर्भर" और "अधिक स्थायी" बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 

भारत के साथ मजबूत होते संबंध: काबुल के लिए आर्थिक स्थिरता का द्वार खोल सकते हैं। 

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