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ऑपरेशन सिंदूर के बाद PAK आतंकी बदल रहे ठिकाना! अब POK में नहीं यहां बना रहे ट्रेनिंग कैंप

भारत के ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद पाकिस्तान में आतंकी संगठन अपने ठिकाने पीओके से खैबर पख्तूनख्वा शिफ्ट कर रहे हैं। यह कदम रणनीतिक है ताकि भारतीय सेना के हमलों से बचा जा सके। जहां पाक एजेंसियां खुलेआम मदद दे रही हैं, तो वहीं सबूत आतंकी भर्ती रैली से मिलता है।

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Ajit Kumar Pandey
ऑपरेशन सिंदूर के बाद PAK आतंकी बदल रहे ठिकाना! अब POK में नहीं यहां बना रहे ट्रेनिंग कैंप | यंग भारत न्यूज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद PAK आतंकी बदल रहे ठिकाना! अब POK में नहीं यहां बना रहे ट्रेनिंग कैंप | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद पाकिस्तान में आतंकी समूहों के ठिकाने अब बदल रहे हैं। जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन अब पीओके छोड़कर खैबर पख्तूनख्वा में जा रहे हैं। 

खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सिर्फ डर नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है ताकि भारतीय हमलों से बचा जा सके। आइए जानते है कि पाकिस्तान की शह पर चल रहे इस बदलाव के पीछे क्या है बड़ा मकसद? 

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, साल 2025 के मई महीने की शुरुआत में भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस सटीक हमले में 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर थी। 

ये सर्जिकल स्ट्राइक आतंकी कैंपों की कमर तोड़ने वाली साबित हुई, खासकर उन जगहों पर जहाँ जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खतरनाक संगठन अपनी गतिविधियां चलाते थे। इन हमलों ने पाकिस्तानी सेना और आतंकियों दोनों को हिला कर रख दिया। अब उन्हें एहसास हो गया है कि पीओके में रहकर वे भारत के हमलों से सुरक्षित नहीं हैं। 

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पीओके से खैबर पख्तूनख्वा क्यों भाग रहे हैं आतंकी? 

आतंकी संगठनों का पीओके से खैबर पख्तूनख्वा की ओर जाना एक बड़ा रणनीतिक बदलाव है। इसके पीछे कई कारण हैं। 

सुरक्षित ठिकाना: खैबर पख्तूनख्वा का इलाका भौगोलिक रूप से ज्यादा सुरक्षित और दुर्गम है। अफगानिस्तान की सीमा से सटा होने के कारण यहां छिपना और ट्रेनिंग कैंप चलाना आसान है। 

पुरानी जड़ें: अफगानिस्तान युद्ध के समय से ही खैबर पख्तूनख्वा में जिहादी संगठनों के लिए सुरक्षित ठिकाने मौजूद हैं। ये संगठन अब अपने पुराने नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

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पाक सरकार की मदद: खुफिया इनपुट के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार की एजेंसियां और राजनीतिक-धार्मिक संगठन इन आतंकियों को मदद कर रहे हैं। जैश-ए-मोहम्मद जैसी संस्थाएं पुलिस की सुरक्षा में खुलेआम रैलियां निकाल रही हैं। 

क्रिकेट मैच से पहले आतंकी भर्ती रैली? 

आतंकियों के इस बदलाव का एक और चौंकाने वाला सबूत हाल ही में सामने आया। एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच से कुछ घंटे पहले, जैश-ए-मोहम्मद ने खैबर पख्तूनख्वा के मानसेहरा जिले में एक बड़ी भर्ती रैली की। 

खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह रैली एक धार्मिक आयोजन की आड़ में थी जिसमें जैश के प्रमुख कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी ने खुद हिस्सा लिया। इस रैली का असली मकसद 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद नए रंगरूटों की भर्ती करना था, ताकि वे अपने ट्रेनिंग कैंप को फिर से मजबूत कर सकें। 

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पाकिस्तान में सरेआम आतंकियों की भर्ती यह दिखाता है कि पाकिस्तान किस तरह से आतंक को बढ़ावा दे रहा है और धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल कर युवाओं को बरगला रहा है। 

ये हमला सिर्फ एक शुरुआत थी 

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर के 'मरकज सुभानल्लाह' और मुरीदके के 'मरकज तैयबा' जैसे बड़े आतंकी हेडक्वार्टर को निशाना बनाया था। इनमें से 'मरकज सुभानल्लाह' जैश का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर था, जबकि 'मरकज तैयबा' मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का अड्डा था। 

इन हमलों के बाद आतंकी समूहों को समझ आ गया है कि भारत की पहुंच अब कहीं भी हो सकती है। यही वजह है कि वे अब ऐसे इलाकों में भाग रहे हैं जहां उन्हें लगता है कि वे भारत की नज़रों से बच सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे सच में बच पाएंगे? 

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