नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अहमदाबाद में हुए दर्दनाक विमान हादसे ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर उस पल क्या हुआ, जब हवा में उड़ता प्लेन अचानक मौत का ग्रास बन गया। इसी बीच, आज शनिवार 14 जून 2025 को पूर्व वायुसेना प्रमुख (रिटायर्ड) अरूप राहा के एक बयान ने इस हादसे से जुड़ी कई आशंकाओं को और गहरा कर दिया है।
उन्होंने सीधे तौर पर विमान निर्माता कंपनी बोइंग पर सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने कंपनी के भीतर से ही मिल रही शिकायतों और व्हिसिलब्लोअर्स का ज़िक्र किया है। यह बयान इस ओर इशारा करता है कि शायद इस हादसे के पीछे कोई तकनीकी खराबी या कंपनी से जुड़ा कोई बड़ा सुरक्षा समझौता हो सकता है। यह चिंता का विषय है कि क्या बोइंग के विमानों में सुरक्षा की कमी है।
पूर्व वायुसेना प्रमुख के एक बयान ने मामले को उलझाया
अहमदाबाद में हुए विमान हादसे की गुत्थी सुलझाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन इस बीच भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख अरूप राहा के एक बयान ने इस मामले को और भी उलझा दिया है। राहा ने सीधे तौर पर अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग की सुरक्षा प्रणालियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि "इसमें कुछ तो है। कंपनी (बोइंग) के अंदर से ही शिकायतें और व्हिसिलब्लोअर्स के दावे हैं, जिनकी जांच की जानी चाहिए।" उनका यह बयान बताता है कि हादसे के पीछे सिर्फ एक सामान्य तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि बोइंग के भीतर की कोई बड़ी समस्या हो सकती है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब बोइंग विमानों पर सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं। हाल के दिनों में कंपनी के कई विमानों में तकनीकी दिक्कतें सामने आई हैं, जिसने यात्रियों और एयरलाइंस दोनों की चिंता बढ़ा दी है। पूर्व वायुसेना प्रमुख का यह बयान इस बात को और पुख्ता करता है कि अहमदाबाद विमान हादसे की जड़ें कहीं और गहरी हो सकती हैं।
हवा में इंजन फेल होना कितना खतरनाक!
राहा ने आगे बताया, "इस महत्वपूर्ण चरण में, जब गति और ऊंचाई कम होती है, तो रिकवरी के लिए कोई समय नहीं होता है। इंजन की शक्ति का नुकसान होने से विमान रुक जाएगा, जिसका अर्थ है कि विमान उड़ान नहीं भर पाएगा, और यह बहुत तेजी से नीचे गिरेगा और दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा।" उनके इस विश्लेषण से यह साफ होता है कि हवा में इंजन फेल होना कितना खतरनाक हो सकता है, खासकर कम ऊंचाई और कम गति पर। ऐसे में पायलट के पास संभलने का मौका न के बराबर होता है।
इस बयान से यह सवाल उठता है कि क्या बोइंग अपने विमानों की सुरक्षा मानकों से समझौता कर रहा है? क्या लाभ कमाने की होड़ में यात्रियों की जान जोखिम में डाली जा रही है? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट के बाद ही सामने आएंगे, लेकिन पूर्व वायुसेना प्रमुख का यह बयान जांच एजेंसियों पर दबाव बढ़ाएगा कि वे बोइंग से जुड़े हर पहलू की गहनता से जांच करें।
बोइंग कंपनी के विमान पर पहले उठे हैं सवाल!
गौरतलब है कि हाल के दिनों में बोइंग के कई मॉडलों में तकनीकी खामियों की खबरें आई हैं। कुछ विमानों में दरवाज़े के पैनल ढीले पाए गए तो कुछ में लैंडिंग गियर में दिक्कतें सामने आईं। इन घटनाओं ने बोइंग की साख पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब अहमदाबाद विमान हादसा इस कड़ी में एक और चिंताजनक अध्याय जोड़ता दिख रहा है।
जांच एजेंसियां इस बात पर भी गौर करेंगी कि क्या विमान के रखरखाव में कोई कमी थी या फिर यह बोइंग द्वारा निर्मित विमान में कोई अंतर्निहित दोष था। इस हादसे ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला है। यह जरूरी है कि इस हादसे की गहन और निष्पक्ष जांच हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और यात्रियों का हवाई यात्रा पर भरोसा बना रहे।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हवाई यात्रा सबसे सुरक्षित यात्रा मानी जाती है, लेकिन ऐसी घटनाएं इस भरोसे को तोड़ सकती हैं। ऐसे में विमान निर्माता कंपनियों और एयरलाइंस की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। अहमदाबाद विमान हादसे की यह दुखद घटना हम सभी को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई।
क्या आप इससे सहमत हैं? इस गंभीर मुद्दे पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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