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Ahmedabad Plane Crash : सुप्रीम कोर्ट चिंतित– रिपोर्ट लीक को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, जांच एजेंसी को नोटिस | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया के दुखद विमान हादसे की जांच रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्सों को लीक करने पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से जानकारी लीक करना "दुर्भाग्यपूर्ण" है और इससे पायलट की गलती को लेकर एक गलत धारणा बनी है। कोर्ट ने साफ कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक रिपोर्ट को गोपनीय रखना सबसे ज़रूरी है। कोर्ट ने "एक विशेषज्ञ निकाय द्वारा स्वतंत्र, निष्पक्ष, निष्पक्ष और शीघ्र जांच" की सीमित मांग पर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरो (AAIB) को नोटिस जारी किया।
बता दें कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने जुलाई में अपनी शुरुआती रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि हादसे में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, कॉकपिट ऑडियो रिकॉर्डिंग में कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर की बातचीत सुनी गई थी। इसमें एक पायलट ने पूछा,'तुमने कट ऑफ क्यों किया?' तो दूसरे ने जवाब दिया,'मैंने नहीं किया'। इसी बातचीत के आधार पर यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि हादसा पायलट की गलती से हुआ था।
कानूनी वेबसाइट लाइव लॉ के अनुसार, 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 क्रैश हो गई और 260 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद से ही लगातार तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया तो एक नई तस्वीर सामने आई।
दरअसल, कोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें हादसे की निष्पक्ष और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि एक पांच-सदस्यीय जांच टीम बनाई गई है जिसमें से तीन सदस्य खुद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अधिकारी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस डीजीसीए की भूमिका पर ही संदेह है, उसी के अधिकारी जांच टीम में कैसे हो सकते हैं? यह तो हितों के टकराव का मामला है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सहमति जताई कि निष्पक्ष जांच की मांग वाजिब है, लेकिन न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर को सार्वजनिक करने की मांग पर सवाल उठाए। इस पर वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि डीएफडीआर में हादसे से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी है, लेकिन न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि ऐसी जानकारी को समय से पहले जारी करना सही नहीं है।
वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को एक और चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई पायलटों और पीड़ितों के परिवारों ने उनसे संपर्क किया है। वे इस बात से परेशान हैं कि शुरुआती जांच रिपोर्ट में एक अस्पष्ट वाक्य, जिसमें पायलट द्वारा दूसरे से ईंधन क्यों काटा गया, जैसा सवाल पूछने का जिक्र था, उसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने उठा लिया और यह दिखाने की कोशिश की कि हादसा पायलट की गलती से हुआ था।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने इसे "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और कहा कि टुकड़ों में जानकारी लीक करने के बजाय पूरी जांच खत्म होने तक गोपनीयता बनाए रखनी चाहिए।
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क्या हादसे की वजह तकनीकी खराबी थी?
वकील प्रशांत भूषण ने कुछ विमानन विश्लेषकों और 'एयरलाइन मैटर्स' जैसे पॉडकास्ट का हवाला दिया, जिन्होंने इस घटना की गहराई से जांच की और यह निष्कर्ष निकाला कि यह हादसा पायलट की लापरवाही से नहीं, बल्कि एक इलेक्ट्रिकल फेलियर के कारण हुआ था। इस खराबी के कारण दोनों इंजन बंद हो गए थे।
उन्होंने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट से सिर्फ कुछ लाइनें लीक करके पूरी तस्वीर को बिगाड़ दिया गया। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब इस तरह की कोई त्रासदी होती है तो अक्सर एयरलाइन को ही दोषी ठहराया जाता है, जबकि बोइंग या एयरबस जैसी कंपनियों पर शायद ही कभी आरोप लगाया जाता है। इससे पूरी एयरलाइन की साख खराब हो जाती है।
वकील प्रशांत भूषण ने फिर से उन रिपोर्ट्स का जिक्र किया, जिनमें पायलटों को दोष दिया गया था। उन्होंने बताया कि 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका ने भी शुरुआती रिपोर्ट के आधिकारिक रूप से जारी होने से पहले ही सीनियर पायलट को जिम्मेदार ठहराते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित कर दी थी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक कह दिया गया था कि पायलट आत्मघाती था जिसे वकील प्रशांत भूषण ने "हास्यास्पद कहानी" बताया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स को "गैर-जिम्मेदाराना" बताया और कहा कि ऐसे मामलों में गोपनीयता सबसे महत्वपूर्ण होती है। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने "एक विशेषज्ञ निकाय द्वारा स्वतंत्र, निष्पक्ष, निष्पक्ष और शीघ्र जांच" की सीमित मांग पर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरो को नोटिस जारी किया।
याचिका में क्या आरोप लगाए गए?
यह याचिका सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन, एक विमानन सुरक्षा गैर-सरकारी संगठन ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिस तरह से जांच की जा रही है वह जीवन, समानता और सही जानकारी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
याचिका के अनुसार, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो ने 12 जुलाई 2025 को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की जिसमें दुर्घटना का कारण 'फ्यूल कटऑफ स्विच' को 'रन' से 'कटआफ' पर ले जाना बताया गया, जिससे पायलट की गलती का संकेत मिला।
याचिका में कहा गया है कि यह रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण डेटा जैसे डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की पूरी प्रतिलिपि और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग डेटा को छिपाती है जो कि घटना को समझने के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि रिपोर्ट जानबूझकर तकनीकी गड़बड़ियों जैसे ईंधन स्विच दोष, इलेक्ट्रिकल फॉल्ट और इलेक्ट्रिकल डिस्टर्बेंस को अनदेखा करती है और समय से पहले ही पायलट की गलती पर उंगली उठाती है।
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जांच टीम में हितों का टकराव
याचिका में एक और गंभीर मुद्दा उठाया गया है जिसमें कहा गया है कि जांच टीम में डीजीसीए के अधिकारी हावी हैं जबकि डीजीसीए खुद अपनी नियामक चूक के लिए जांच के दायरे में है। इस तरह का तरीका विमानन सुरक्षा में जनता के विश्वास को कम करता है और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के तहत भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह की बड़ी आपदा में "चुनिंदा और पक्षपाती" जांच संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, क्योंकि यह नागरिकों के जीवन, सुरक्षा और सम्मान के अधिकार से समझौता करता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि यह मनमाना है और अनुच्छेद 14 के विपरीत है, और अनुच्छेद 19(1)(ए) के उल्लंघन में सही जानकारी को दबाता है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट से मांग करती है कि दुर्घटना से संबंधित सभी बुनियादी तथ्यात्मक डेटा, जिसमें डीएफडीआर, सीवीआर और फॉल्ट मैसेज रिकॉर्ड शामिल हैं, को तुरंत सार्वजनिक किया जाए।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक योग्य और स्वतंत्र जांचकर्ता की नियुक्ति की जाए ताकि चल रही जांच की निगरानी हो सके। इससे पहले भी, अगस्त में न्यायमूर्ति सूर्य कांत के नेतृत्व वाली एक पीठ ने एयर इंडिया विमान दुर्घटना के बाद एयर इंडिया की सुरक्षा जांच, रखरखाव प्रक्रियाओं आदि की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। उस याचिका को वापस ले लिया गया था, लेकिन याचिकाकर्ता को उचित समय पर एक उचित रिट याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी गई थी।
इसके अलावा, दो डॉक्टरों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अहमदाबाद विमान दुर्घटना के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। इस पत्र में केंद्र सरकार को पीड़ितों को जल्द से जल्द मुआवजा देने और दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए गहन जांच का निर्देश देने की मांग की गई है।
260 मौतों का जिम्मेदार कौन?
सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया विमान हादसे की लीक हुई रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने माना कि चुनिंदा जानकारी लीक करके पायलटों को बलि का बकरा बनाया गया है, जबकि तकनीकी खराबी की संभावनाओं को दबाया जा रहा है।
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