नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अहमदाबाद विमान हादसे में अपनों को खोने वाली बाबूबेन का हृदयविदारक दर्द सुनिए। एक प्लेन क्रैश ने कैसे एक हंसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया। जानें उस मनहूस पल की पूरी कहानी, जब बाबूबेन की आंखों के सामने उनका संसार उजड़ गया।
अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन इस दर्दनाक घटना का सबसे गहरा जख्म झेल रही हैं बाबूबेन, जो मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के बाहर चाय की दुकान चलाती हैं। बीते कल हुए इस हादसे में उन्होंने न सिर्फ अपने पोते को खो दिया, बल्कि उनकी बहू भी सिविल अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। बाबूबेन की आंखों के सामने उनका संसार उजड़ गया। उनके टूटे हुए शब्द और आंखों के आंसू इस बात की गवाही दे रहे हैं कि एक पल में कैसे किसी की जिंदगी तबाह हो सकती है।
आंखों के सामने टूट गया सपनों का आशियाना
बाबूबेन अपनी चाय की दुकान पर रोज की तरह सुबह से बैठी थीं। तभी अचानक आसमान से एक आफत टूट पड़ी। एक विमान अनियंत्रित होकर सीधा मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास गिरा, जहां उनका पोता खेल रहा था और बहू भी वहीं आसपास मौजूद थी। पलक झपकते ही सब कुछ आग की लपटों में घिर गया। चीख-पुकार मच गई। बाबूबेन ने अपनी आंखों के सामने अपने पोते को जलते देखा और अपनी बहू को तड़पते हुए। जिस जगह वे रोज अपनी चाय की दुकान लगाती हैं, वह जगह अब सिर्फ दर्द और मातम की निशानी बन गई है। "मेरा तो सब कुछ लुट गया," बाबूबेन सिसकते हुए कहती हैं। "मेरा पोता चला गया, और मेरी बहू जिंदगी के लिए जूझ रही है। अब मैं किसके सहारे जीऊंगी?"
हादसे के बाद का मंजर रोंगटे खड़े कर देने वाला था। चारों तरफ धुआं और चीखें थीं। राहत और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंच गए, लेकिन जब तक वे कुछ कर पाते, बहुत देर हो चुकी थी। बाबूबेन का मासूम पोता उस भयावह आग की भेंट चढ़ चुका था। उनकी बहू को गंभीर हालत में सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन बाबूबेन की उम्मीदें अब बस दुआओं पर टिकी हैं।
एक छोटे से परिवार पर कहर
बाबूबेन और उनका परिवार बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है। उनकी चाय की दुकान ही उनके घर का एकमात्र सहारा थी। इसी से वे अपने पोते और बहू का भरण-पोषण करती थीं। इस हादसे ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली है और उन्हें पूरी तरह से बेसहारा कर दिया है। अब उनके सामने न सिर्फ अपने प्रियजनों को खोने का दर्द है, बल्कि भविष्य की अनिश्चितता भी है। यह अहमदाबाद विमान हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि कई जिंदगियों को तबाह करने वाली त्रासदी है।
स्थानीय प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन क्या कोई मुआवजा उस दर्द की भरपाई कर सकता है जो बाबूबेन झेल रही हैं? क्या कोई पैसा एक मां के खोए हुए बच्चे को वापस ला सकता है? इस घटना ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आखिर कब तक ऐसी दुर्घटनाएं होती रहेंगी और मासूम जिंदगियां यूं ही काल का ग्रास बनती रहेंगी? यह अहमदाबाद विमान हादसा उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो सुरक्षा मानकों को अनदेखा करते हैं।
इस दुःख की घड़ी में बाबूबेन को हर तरफ से सांत्वना मिल रही है, लेकिन उनका दर्द शायद ही कभी कम हो पाएगा। उनकी आंखों में वो मंजर ताजा है जब उनके सामने उनका हंसता-खेलता परिवार बिखर गया। यह घटना हमें याद दिलाती है कि जिंदगी कितनी क्षणभंगुर है और कभी भी कुछ भी हो सकता है।
क्या आपको लगता है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए? अपनी राय कमेंट्स में ज़रूर दें।
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