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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अदालतों की तारीख का जिक्र मुंबईया फिल्मों में कई बार हो चुका है। हकीकत में देखें तो जो फिल्मों में दिखाया जाता है वो गलत नहीं है। अदालतों के फेर में फंसकर कितने लोग उम्रदराज हो गए लेकिन इंसाफ नहीं मिल सका। ताजा मामले में अदालती फेर में फंसी है यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी।
2020 में जबरन खाली कराया गया था सपा का पीलीभीत दफ्तर
अखिलेश की पार्टी के पीलीभीत के जिलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव अपनी दरख्वास्त को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई कहीं भी नहीं हो पा रही। दरअसल नवंबर 2020 में पीलीभीत के सपा दफ्तर को जिला प्रशासन ने जबरन खाली करा लिया था। आनंद सिंह यादव का कहना था कि ये दफ्तर 16 सालों से पार्टी के पास था। वो बराबर इसका किराया भर रहे थे। लेकिन एक दिन उनको दफ्तर से जबरन निकाल दिया गया।
हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की पर मिली केवल फटकार
आनंद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की लेकिन बेंच ने उसे रिजेक्ट कर दिया। यही नहीं हाईकोर्ट ने उनको हिदायत दी कि इस मसले को लेकर फिर से यहां न आएं। वहां से कहा गया कि इस मामले पर हाईकोर्ट में फिर से कोई याचिका दाखिल न की जाए।
सुप्रीम कोर्ट आए तो कहा गया- हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते
हाईकोर्ट के आदेश को आनंद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उनके वकील सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस संदीप मेहता और पीबी वराले की बेंच के सामने स्पेशल लीव पटीशन दाखिल की। बेंच ने पटीशन को देखा और उसे खारिज कर दिया। हालांकि बेंच ने आनंद से कहा कि वो इस मामले पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके इंसाफ की गुहार लगा सकते हैं। देखने वाली बात ये है कि हाईकोर्ट ने आनंद को याचिका दाखिल करने से भी रोक दिया वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उनसे फिर से हाईकोर्ट जाने को कहा है। यानि पांच साल से तारीख पर तारीख पर इंसाफ नहीं।
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