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वोट चोरी का आरोप : चुनाव आयोग ने दिया करारा जवाब | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत का चुनाव आयोग (ECI) विपक्ष के 'वोट चोरी' के आरोपों को खारिज कर रहा है, इसे निराधार और गैर-जिम्मेदाराना बता रहा है। आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन आरोपों की अनदेखी करते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करते रहें।
विपक्ष की ओर से अक्सर चुनाव परिणामों को लेकर वोट चोरी और धांधली के आरोप लगाए जाते हैं। इन आरोपों के पीछे ईवीएम (Electronic Voting Machine) और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जाते हैं। हाल ही में, चुनाव आयोग ने इस तरह के 'वोट चोरी के आरोप' पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग का कहना है कि विपक्ष द्वारा रोजाना दिए जा रहे ये आरोप बिल्कुल निराधार हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि वे इस तरह के बेबुनियाद आरोपों को नजरअंदाज करते हैं।
On allegations of vote theft by opposition parties, the Election Commission of India say, "Election Commission ignores such baseless allegations being made on a daily basis and despite threats being given daily, asks all election officials to ignore such irresponsible statements…
— ANI (@ANI) August 1, 2025
क्या चुनाव आयोग के अधिकारियों पर दबाव है?
चुनाव आयोग ने अपने सभी अधिकारियों को एक विशेष निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि वे इन गैर-जिम्मेदाराना बयानों की अनदेखी करें और पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ अपना काम करते रहें। आयोग का यह कदम बताता है कि विपक्ष के इन आरोपों से चुनाव अधिकारियों का मनोबल प्रभावित हो सकता है। चुनाव आयोग का यह सख्त रवैया यह दर्शाता है कि वह चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष के आरोपों की जड़ क्या है?
जब भी किसी पार्टी को चुनाव में हार मिलती है, तो अक्सर वोट चोरी का आरोप सामने आता है। ये आरोप अक्सर हार के कारणों को छिपाने या जनता के बीच असंतोष पैदा करने के लिए लगाए जाते हैं। इन आरोपों के पीछे कुछ ठोस सबूतों की कमी अक्सर देखी जाती है। इसके बावजूद, ये आरोप सोशल मीडिया और मुख्यधारा के मीडिया में तेजी से फैलते हैं। चुनाव आयोग ने कई बार इन आरोपों का खंडन करते हुए तकनीकी और कानूनी पहलुओं को समझाया है, लेकिन फिर भी ये आरोप लगातार जारी हैं।
ईवीएम पर सवाल: विपक्ष अक्सर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता: आरोप लगाए जाते हैं कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं है।
चुनावी परिणामों पर संदेह: हारने वाली पार्टियां अक्सर परिणामों पर संदेह जताती हैं।
लोकतंत्र के लिए इन आरोपों के क्या मायने हैं?
चुनाव आयोग का यह निर्देश एक महत्वपूर्ण संकेत है कि अब वह इन आरोपों पर चुप नहीं रहेगा। यह चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और निष्पक्षता को बनाए रखने की एक मजबूत कोशिश है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है।
Election Commission Controversy | Election Commission Warning