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Ambubachi Mela 2025 : कामाख्या मंदिर में भक्तों का सैलाब, जानिए — क्यों पहुंचे राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।गुवाहाटी में सदियों से चली आ रही परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम, अंबुबाची मेला 2025 की 'निवृत्ति' के अवसर पर आज कामाख्या मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। इस पवित्र अवसर पर असम के राज्यपाल, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, अपनी धर्मपत्नी के साथ मां कामाख्या के दर्शन करने पहुंचे। उन्होंने देश और राज्य की उन्नति और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए विशेष प्रार्थना की। आखिर क्या है इस मेले का रहस्य और क्यों हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ खिंचे चले आते हैं? पूरी खबर जानने के लिए पढ़ते रहिए।
अंबुबाची मेला 2025: जब धरती होती है रजस्वला
गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या देवी का मंदिर, भारत के सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है। यह स्थान तंत्र-मंत्र और अघोर साधना का केंद्र माना जाता है। हर साल, जून के महीने में, जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला का आयोजन होता है। यह वो समय होता है जब माना जाता है कि मां कामाख्या रजस्वला होती हैं। इन तीन दिनों के दौरान, मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और कोई भी पूजा-अर्चना नहीं की जाती। चौथे दिन, जब 'निवृत्ति' होती है, तो मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं और फिर से पूजा-पाठ शुरू हो जाता है।
इस वर्ष, अंबुबाची मेला 2025 के दौरान भी यही श्रद्धा और विश्वास देखने को मिला। तीन दिनों के विश्राम के बाद, आज जब मंदिर के कपाट खुले, तो दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर भक्त माँ कामाख्या के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता था।
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राज्यपाल ने मांगा देश और राज्य का विकास
आज गुरूवार 26 जून 2025 सुबह, असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य भी अपनी पत्नी के साथ कामाख्या मंदिर पहुंचे। उन्होंने पवित्र स्नान किया और माँ कामाख्या के सामने नतमस्तक होकर विशेष पूजा-अर्चना की। पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा, "मैंने मां से प्रार्थना की है कि मेरे देश और राज्य के लोगों का विकास होता रहे। हमारा राज्य निरंतर प्रगति करे और हमारा प्यारा भारत एक विकसित भारत बने।"
राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा अंबुबाची मेला 2025 के लिए की गई बेहतरीन व्यवस्थाओं की भी सराहना की। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार ने सारी व्यवस्थाएं बहुत अच्छे से की हैं। भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।"
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भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास
कामाख्या मंदिर में 'निवृत्ति' के दिन दर्शन करने आए भक्तों में उत्साह और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कई भक्त दूर-दराज के राज्यों से, पैदल चलकर, मां के दर्शन के लिए पहुंचे थे। एक श्रद्धालु ने बताया, "मैं पिछले दस सालों से अंबुबाची मेला में आ रहा हूं। मां कामाख्या की कृपा से मेरे सारे कष्ट दूर हो गए हैं। इस बार भी मैंने अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की है।"
दूसरे श्रद्धालु ने कहा, "यह मेला सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और उसके अद्भुत रहस्यों को समझने का अवसर देता है।"
#WATCH | गुवाहाटी: अंबुबाची मेला 2025 की 'निवृत्ति' पर कामाख्या मंदिर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। pic.twitter.com/CJ6Hth01zZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2025
अंबुबाची मेले का महत्व: तंत्र-मंत्र और शक्ति का केंद्र
अंबुबाची मेला सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और विदेशों से भी पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करता है। यह मेला विशेष रूप से तंत्र साधकों और अघोरियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान विभिन्न प्रकार की तांत्रिक क्रियाएं और साधनाएं की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय की गई साधनाएं विशेष फलदायी होती हैं।
कामाख्या मंदिर को देवी सती के योनि भाग के गिरने का स्थान माना जाता है, जो इसे अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली बनाता है। यहीं कारण है कि इस मंदिर में मां की योनि की पूजा की जाती है, जो सृजन और शक्ति का प्रतीक है। अंबुबाची मेला इसी सृजन शक्ति का उत्सव है, जो धरती और स्त्री के उर्वरता चक्र का सम्मान करता है।
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