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अमेरिका का दोगुना टैरिफ लागू, इन कारोबारियों पर सबसे ज्यादा असर

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, नए शुल्कों के कारण अमेरिका को होने वाला निर्यात कम हो सकता है, जिससे नौकरियां कम हो सकती हैं और आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन ब्यूरोः आखिरकार अमेरिका ने वही किया जो कहा था। भारत पर बुधवार सुबह 9.31 बजे से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर टैरिफ दोगुना हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार इसकी वजह भारत की रूसी कच्चे तेल और रक्षा उपकरणों की लगातार खरीद है।

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत हर साल अमेरिका को लगभग 86.5 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है। इसमें से दो-तिहाई पर लगभग 60.2 अरब डॉलर पर 50 फीसदी टैरिफ लगेगा। सरकारी अनुमान कहते हैं कि टैरिफ से 48.2 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ेगा। नए शुल्कों के कारण अमेरिका को होने वाला निर्यात कम हो सकता है, जिससे नौकरियां कम हो सकती हैं और आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।

जीटीआरआई का अनुमान- 70 फीसदी तक गिर सकता है निर्यात

जीटीआरआई का कहना है कि कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, खाद्य और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। थिंक टैंक के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि प्रभावित क्षेत्रों में निर्यात 70 फीसदी तक गिर सकता है, जो 60.2 अरब डॉलर से घटकर 18.6 अरब डॉलर रह जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात में 43 फीसदी की गिरावट आ सकती है, जिससे भारत के निर्यात केंद्रों में लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

ऊंचे टैरिफ के बीच भारत के उत्पाद बाजार में अपनी चमक खो सकते हैं, जिसका चीन और वियतनाम जैसे देशों को लाभ हो सकता है। भारत पर लगाए गए टैरिफ अन्य एशियाई देशों जैसे चीन (30 प्रतिशत), वियतनाम (20 प्रतिशत), इंडोनेशिया (19 प्रतिशत) और जापान (15 प्रतिशत) की तुलना में भी कहीं ज्यादा हैं।

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झींगे: भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को 2.4 अरब डॉलर मूल्य के झींगे निर्यात किए। ये कुल झींगा निर्यात का 32.4 प्रतिशत है। जीटीआरआई के अनुसार इस क्षेत्र में कुल टैरिफ 60 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। इससे इक्वाडोर, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में भारत के मुकाबले मजबूती हासिल कर लेंगे।

रत्न एवं आभूषण: अमेरिका को भारत का 10 अरब डॉलर का निर्यात इस क्षेत्र में भारत के वैश्विक निर्यात का 40 प्रतिशत है। टैरिफ 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 52.1 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे सूरत, मुंबई और जयपुर में नौकरियां जाने का खतरा है। इन जगहों पर यह उद्योग कटिंग, पॉलिशिंग और विनिर्माण में लाखों लोगों को रोजगार देता है।

वस्त्र एवं परिधान: वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को भारत का वस्त्र एवं परिधान निर्यात 10.8 अरब डॉलर का था। अमेरिका को निर्यात में अकेले परिधानों का हिस्सा 5.4 अरब डॉलर का है। भारत के परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत थी। टैरिफ 13.9 प्रतिशत से बढ़कर 63.9 प्रतिशत हो गया है। इसका तिरुपुर, नोएडा-गुरुग्राम, बेंगलुरु, लुधियाना और जयपुर के क्लस्टरों पर प्रभाव पड़ेगा। बांग्लादेश, वियतनाम, मेक्सिको और CAFTA-DR देशों को फायदा पहुंचेगा।

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कालीन: वित्त वर्ष 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 1.2 अरब डॉलर था, जिसमें वाशिंगटन की भारतीय कालीन निर्यात में 58.6 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। टैरिफ 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 52.9 प्रतिशत हो गया है। इससे भदोही, मिर्जापुर और श्रीनगर में कारीगरों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल और चीन को बढ़े हुए टैरिफ का फायदा मिलेगा। 

हस्तशिल्प: वित्त वर्ष 2025 में भारत का अमेरिका को हस्तशिल्प निर्यात 1.6 अरब डॉलर था, जिसमें वाशिंगटन की भारतीय निर्यात में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। इससे जोधपुर, जयपुर, मुरादाबाद और सहारनपुर में कारखानों के बंद होने का खतरा है। वियतनाम, चीन, तुर्की और मेक्सिको इस कमी को पूरा करेंगे।

चमड़ा और जूते: भारत का अमेरिका को चमड़े के सामान और जूते का निर्यात 1.2 अरब डॉलर का है। अब इस पर पूरे 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इससे आगरा, कानपुर और तमिलनाडु के अम्बुर-रानीपेट क्लस्टरों पर खतरा मंडरा रहा है।

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कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य: भारत अमेरिका को 6 अरब डॉलर मूल्य के बासमती चावल, चाय, मसाले और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात करता है। अब इन पर पूर्ण 50 प्रतिशत शुल्क लगेगा। इससे पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम, केन्या और श्रीलंका को फायदा मिलेगा।

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