नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने अमेरिका के खिलाफ कड़े तेवर अपनाए हैं और कहा है कि पाकिस्तान में आतंकवाद बढ़ने के लिए अमेरिकी नीतियां जिम्मेदार हैं। अमेरिका के साथ संबंधों और अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर
बिलावल ने अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि
आतंकवाद और अफगानिस्तान जैसे मुद्दे पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों पर भारी पड़ रहे हैं। बिलावल ने अमेरिका की अफगानिस्तान से जल्दबाजी में वापसी पर भी सवाल खड़े किए और दावा किया कि अफगानिस्तान में छोड़े गए संवेदनशील हथियार अब आतंकवादी समूहों के हाथ लग चुके हैं, जिनका इस्तेमाल वे पाकिस्तान के खिलाफ कर रहे हैं। उनका मानना है कि इसी वजह से पाकिस्तान को आतंकवाद से निपटने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
अमेरिका की वापसी से छूटे हथियारों का आतंकवाद पर प्रभाव
बिलावल ने कहा, "जब अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान से निकलीं, तब कई अत्याधुनिक हथियार वहीं रह गए, जो अब ब्लैक मार्केट के जरिए आतंकवादियों तक पहुंच गए हैं। हम अक्सर इन हथियारों से लैस आतंकियों का सामना करते हैं, जिनके पास पुलिसकर्मियों की तुलना में बेहतर हथियार होते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की जरूरत है। हालांकि, पाकिस्तान की भूमिका और अपने ही देश में बढ़ते आतंकवाद पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
पाकिस्तान क्षेत्रीय देशों को धमका रहा
बिलावल के बयान ने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, अफगानिस्तान ने अभी तक बिलावल के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पिछले अनुभवों के आधार पर अफगान सरकार ने पाकिस्तान के भड़काऊ बयानों को लेकर सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद जालमई अफगान यार ने इस बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि पाकिस्तान क्षेत्रीय देशों को धमका रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या पाकिस्तान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित नीति को समझेगा या अपनी आर्थिक रणनीति छोड़कर अफगान सरकार के लिए और समस्याएं पैदा करता रहेगा।
अमेरिका की अफगानिस्तान से विवादित वापसी
अगस्त 2021 में अमेरिका की अफगानिस्तान से तेज़ी से और विवादित वापसी ने क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर डाला। ट्रम्प प्रशासन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ दोहा समझौता किया था, जिसमें अफगानिस्तान से सेना की वापसी का वादा था। इसके बाद बाइडेन प्रशासन ने वापसी की अवधि को सितंबर 2021 तक बढ़ाया। तालिबान ने तेजी से काबुल पर कब्जा कर लिया, जिससे अफगान सरकार और सेना बुरी तरह कमजोर हो गई। वापसी के दौरान अमेरिकी सेना ने अफगान सेना को दिए गए भारी मात्रा में हथियार अफगानिस्तान में ही छोड़ दिए, जिनमें हजारों राइफलें, मशीन गन, और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल थे। ये हथियार बाद में तालिबान और अन्य आतंकी समूहों जैसे TTP, ISIS के हाथों में पहुंचे और उन्होंने इन्हें क्षेत्रीय हमलों में इस्तेमाल किया।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठे सवाल
पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद के बढ़ते मामलों को लेकर बिलावल ने अमेरिका की नीति को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि 2020 में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए फैसले ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थितियां बेहद संवेदनशील बनी हुई हैं। Terrorism