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Chief Justice BR Gavai पर जूता उछालने की कोशिश : CJI ने क्या कहा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना घटी, जब सुनवाई के दौरान एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश CJI बीआर गवई पर जूता उछालने की कोशिश की। कोर्ट रूम में 'सनातन धर्म का अपमान — नहीं सहेगा हिंदुस्तान' के नारे लगे, जिससे कार्यवाही कुछ देर के लिए बाधित हो गई। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी वकील को तुरंत हिरासत में ले लिया।
इस सनसनीखेज घटना के बावजूद, CJI गवई ने बेबाकी से कहा कि 'ऐसी घटनाओं से उन्हें फर्क नहीं पड़ता' और कार्यवाही जारी रखी। यह घटना CJI द्वारा हाल ही में भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी एक याचिका पर की गई टिप्पणियों से उपजे धार्मिक विवाद से सीधे तौर पर जुड़ी है, जिसने न्यायपालिका की गरिमा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
SC कोर्टरूम में हुई वो 5 मिनट की सनसनीखेज घटना
सोमवार का दिन देश की सर्वोच्च अदालत के लिए एक काला धब्बा साबित हुआ। आमतौर पर बेहद शांत और नियंत्रित रहने वाले कोर्ट नंबर-1 में अचानक अफरातफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच जब रूटीन मामलों की सुनवाई कर रही थी, तभी वकीलों के बीच से एक शख्स जो वकील की वेशभूषा में था तेजी से आगे बढ़ा। उसने जोर-जोर से नारेबाजी शुरू कर दी।
'लाइव लॉ' और 'बार एंड बेंच' जैसी कानूनी वेबसाइट्स के अनुसार आरोपी शख्स ने CJI पर हमला करने की नीयत से अपना जूता पैर से निकालने की कोशिश की। कुछ रिपोर्ट्स में 'कागज़ का रोल फेंकने' की बात भी कही गई है, लेकिन मंशा स्पष्ट रूप से विरोध प्रदर्शन और अराजकता फैलाने की थी।
घटना का भावनात्मक बैकग्राउंड: यह पूरी घटना आकस्मिक नहीं थी बल्कि इसका एक गहरा भावनात्मक और धार्मिक बैकग्राउंड है।
मूल विवाद: कुछ समय पहले CJI बीआर गवई ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने की याचिका को खारिज करते हुए कुछ टिप्पणियां की थीं।
सोशल मीडिया पर उबाल: CJI की उन टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर 'सनातन धर्म का अपमान' बताकर ज़बरदस्त तरीके से वायरल किया गया था।
इस पर लोगों ने ख़ासकर हिंदूवादी समूहों ने कड़ी नाराजगी जताई थी।
CJI का स्पष्टीकरण: CJI गवई ने खुद इन टिप्पणियों का संज्ञान लेते हुए कोर्ट में कहा था कि वे 'सभी धर्मों का सम्मान करते हैं' और उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जिसका गलत अर्थ निकाला जाए।
दुर्भाग्य से सोमवार की घटना सीधे तौर पर इसी ऑनलाइन विरोध को कोर्ट के अंदर ले आई। नारा 'सनातन धर्म का अपमान — नहीं सहेगा हिंदुस्तान' इस बात को साबित करता है कि हमलावर की प्रेरणा धार्मिक भावनाओं से जुड़ी थी।
CJI का निडर जवाब: 'इन घटनाओं से हमें फर्क नहीं पड़ता' जब आरोपी वकील को सुरक्षाकर्मियों ने पकड़कर बाहर निकाला और कोर्टरूम में माहौल तनावपूर्ण था, तब चीफ जस्टिस बीआर गवई का रूख अविश्वसनीय रूप से शांत और दृढ़ था।
उन्होंने ज़रा भी विचलित हुए बिना, एक निडर बयान दिया। "CJI गवई ने कहा कि उन्हें इन घटनाओं से फर्क नहीं पड़ता। इसके बाद उन्होंने कार्यवाही जारी रखने की बात कही।"
बार एसोसिएशनों की कड़ी निंदा: यह 'कोर्ट की अवमानना' है इस घटना ने पूरे कानूनी बिरादरी को हिलाकर रख दिया है। सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएशनों ने एक सुर में इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।
SCOARA का कड़ा रुख: सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन SCOARA ने एक बयान जारी कर इस कृत्य पर गहरी पीड़ा और असहमति व्यक्त की है। SCOARA का बयान 'ऐसा आचरण बार के सदस्य के लिए अनुचित है और यह उस पारस्परिक सम्मान की नींव पर प्रहार करता है जो बेंच और बार के बीच संबंधों को बनाए रखता है।'
एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से इस कृत्य का स्वतः संज्ञान लेने और न्यायालय की अवमानना के लिए उचित कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि यह कृत्य 'सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कलंकित करने और जनता की नजरों में इसकी गरिमा को कम करने की एक सोची-समझी चाल है।'
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