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आयुर्वेदिक कफ सिरप बच्चों के लिए सुरक्षित व प्रभावी हैं, कोल्ड्रिफ को लेकर केंद्र व तमिलनाडु में तकरार

अखिल भारतीय चिकित्सक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. आरपी पाराशर ने आयुर्वेदिक कफ सिरप, जड़ी-बूटियां और घरेलू उपचार दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को बिना किसी डर के दिए जा सकते हैं। 

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Mukesh Pandit
Aurvedic cough syrup

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बच्चों को दी जाने वाली खांसी की दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर चिंताओं के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हैं। अखिल भारतीय चिकित्सक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. आरपी पाराशर ने आयुर्वेदिक कफ सिरप, जड़ी-बूटियां और घरेलू उपचार दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को बिना किसी डर के दिए जा सकते हैं। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि ज़हरीली खांसी की दवा कोल्ड्रिफ से कम से कम 20 बच्चों की मौत का मामला केंद्र और तमिलनाडु के बीच दोष-प्रत्यारोप का खेल नहीं, बल्कि यह जवाबदेही का मामला है।

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तमिलनाडु ने नहीं की कोल्ड्रिफ पर कारवाई 

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियों की स्पष्ट सिफारिशों के बावजूद तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन (टीएन-एफडीए) कार्रवाई करने में विफल रहा है। सूत्रों ने कहा, "यह केंद्र सरकार द्वारा राज्य पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं है। लेकिन तमिलनाडु एफडीए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। सवाल यह है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की सिफ़ारिश के बावजूद उन्होंने अभी तक आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया है? डीसीजीआई के स्पष्ट निर्देश के बावजूद लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया गया?" यह टिप्पणी मध्य प्रदेश में कथित जहरीले कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत के बीच की गई है।

डीजीएचएस ने लगा दिया था दवा पर प्रतिबंध

उधर, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) ने तीन अक्टूबर को सभी राज्यों को एक परामर्श जारी कर दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाइयां देने पर प्रतिबंध लगा दिया था। परामर्श के अनुसार, आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने की सलाह दी जाती है। पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की दवा देने के बाद उसका सावधानीपूर्वक नैदानिक ​​मूल्यांकन, कड़ी निगरानी और उचित खुराक, कम से कम अवधि और कई दवाओं के संयोजन से बचने के सख्त पालन के बाद किया जाना चाहिए। 

आयुर्वेदिक कफ सिरप नुकसानदेह नहीं 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परामर्श में बच्चों के लिए कफ सिरप के विवेकपूर्ण और तर्कसंगत नुस्खे और वितरण पर भी जोर दिया गया।  डा. आरपी पाराशर ने बताया कि छह माह से कम उम्र के बच्चों को खांसी, जुकाम या ठंड लगने पर उनकी छाती पर हल्के गर्म घी या तेल से मालिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "बच्चों की माताओं को ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जिसकी प्रकृति ठंडी होती हैं और शरीर में 'कफ' और 'दोष' बढ़ाते हैं। छह महीने से अधिक उम्र के बच्चों को तुलसी, अदरक, लौंग, काली मिर्च और खजूर के साथ दूध उबालकर पिलाया जा सकता है।" 

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बच्चों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं 

उन्होंने बताया कि यह दूध उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगा और खांसी-जुकाम से तुरंत राहत प्रदान करेगा। आयुर्वेदिक कफ सिरप तुलसी, मुलेठी, काकड़सिंगी, भारंगी, पुष्करमूल, बहेड़ा, पुदीना, पिप्पली, काली मिर्च, दालचीनी, तेजपत्ता और तालीसपत्र जैसी जड़ी-बूटियों से बनाए जाते हैं। डॉ. पाराशर ने बताया कि इनका बच्चों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इसके अलावा, बच्चों को सितोपलादि चूर्ण और तालिशादि चूर्ण शहद में मिलाकर दिया जा सकता है या वासावलेह और अगस्त्य हरीतकी जैसी औषधियाँ भी दी जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी औषधियां बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी हैं। 

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