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यशवंत वर्मा से पहले इलाहाबाद HC के इस जस्टिस पर चल सकता है महाभियोग

जस्टिस शेखर यादव पर आरोप है कि उन्होंने दिसंबर 2024 में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में ऐसी बातें कहीं जो हेट स्पीच की कैटेगरी में आती हैं। छह माह पहले विपक्षी सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया था।

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Shailendra Gautam
Parliament

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः घर पर जले हुए नोट मिलने के बाद सुर्खियों में आए जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश चीफ जस्टिस आफ इंडिया ने सरकार से की थी। उनके खिलाफ महाभियोग कब संसद में लाया जाएगा इसे लेकर कोई समय सीमा नहीं तय हो सकी है। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक दूसरे जज के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने की आधारशिला तकरीबन तैयार हो गई है। राज्यसभा अपनी कमर कस चुकी है। Judiciary | india parliament | Indian Judiciary

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जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग चलने के आसार बने

जिस जज के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था उनका नाम शेखर कुमार यादव है। उनके खिलाफ हेट स्पीच को लेकर संसद के ऊपरी सदन में विपक्ष ने प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पर 55 सांसदों के दस्तखत थे। महाभियोग प्रस्ताव संसद में लाने की शर्त ये होती है कि अगर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया जा रहा है तो उस पर कम से कम 50 सांसदों के दस्तखत होने चाहिए। अगर प्रस्ताव लोकसभा में पेश होता है कि उस पर 100 सांसदों को साइन होने अनिवार्य हैं। प्रस्ताव पेश होने के बाद सभापति इस बात की जांच कराते हैं कि जिन लोगों के दस्तखत प्रस्ताव पर हैं वो सही भी हैं या नहीं। उसके बाद इन हाउस कमेटी बनाई जाती है। 

जानिए महाभियोग का पूरा तरीका

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इस कमेटी के तीन सदस्य जज के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करते हैं। वो रिपोर्ट सभापति को सौंपते हैं। सभापति उस रिपोर्ट के सदन में पेश करते हैं और फिर उस पर लंबी बहस चलती है। उसके बाद महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान कराया जाता है। अगर सदन के दो तिहाई सांसद प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं तो जज को महाभियोग के जरिये नौकरी से हटा दिया जाता है। हालांकि भारत में इस तरीके के जरिये आज तक कोई भी जज नौकरी से नहीं हटाया गया है। पांच प्रस्ताव संसद में ऐसे पेश हुए थे जो महाभियोग को लेकर थे। लेकिन उनमें से केवल एक अपने अंजाम तक पहुंचा। जस्टिस वी रामास्वामी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई थी। पर दो तिहाई सांसद नहीं जुट सके और प्रस्ताव औंधे मुंह गिर पड़ा। यानि ये साबित होने के बाद भी कि रामास्वामी करप्ट थे बहुमत के अभाव में उनको महाभियोग से नहीं हटाया जा सका। 

विहिप के कार्यक्रम में बेलगाम हो गई थी जज की जुबान

जस्टिस शेखर यादव पर आरोप है कि उन्होंने दिसंबर 2024 में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में ऐसी बातें कहीं जो हेट स्पीच की कैटेगरी में आती हैं। विपक्ष को उनके तेवरों को लेकर आपत्ति थी। छह माह पहले विपक्षी सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया था। हालांकि इस मामले में भी प्रस्ताव के पास होने की संभावना कम है, क्योंकि शेखर यादव पर बीजेपी का करीबी होने का आरोप है। राज्यसभा में इस प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो बीजेपी इसे समर्थन नहीं देगी। अगर एनडीए के सभी दल एकजुट हुए तो प्रस्ताव का गिरना पूरी तरह से तय है। 
  
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