नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। यूनेस्को ने अपने मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को भी शामिल किया है। यूनेस्को ने 17 अप्रैल को अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े हैं, जिससे कुल अंकित संग्रहों की संख्या 570 हो गई है। अब इस लिस्ट में गीता और नाट्य शास्त्र का नाम भी शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गर्व का पल बताया है और देशवासियों को बधाई दी है।
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
पीएम मोदी शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है! गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।’’
क्या है मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर?
यूनेस्को के अनुसार, 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं के योगदान और बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टियां रजिस्टर में शामिल की गईं। आपको बता दें कि यूनेस्को के "मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर" में दुनिया के लिए उपयोगी और वैश्विक स्तर के दस्तावेज शामिल किए जाते हैं। अंतर्राष्ट्री. एडवाइजरी कमेटी की सिफारिश के बाद मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में कोई दस्तावेज शामिल किए जाते हैं। इस रजिस्टर में शामिल दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए भी काम किया जाता है। मई 2023 तक 494 अभिलेखों को इसमें शामिल किया गया था, अब इसमें 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े गए हैं।
नाट्यशास्त्र और श्रीमद्भगवद्गीता
भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में संगीत की विधाओं के साथ ही साहित्य की कई विधाओं को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है। इसमें गायन, नृत्य, कविता , नाटक और सौंदर्यशास्त्र की अन्य विधाएं शामिल हैं। कहा जाता है कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से ही आधुनिक समय में कई वाद्ययंत्रों की जानकारी मिली है। वहीं श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है।
देश के 14 अभिलेख हुए शामिल- गजेंद्र सिंह शेखावत
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा कि यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि यह भारत की शाश्वत मेधा और कलात्मक प्रतिभा का सम्मान है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं। वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है। इसके साथ ही अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं।