नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क | देश के नए मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भूषण रामकृष्ण गवई को नियुक्त किया जाएगा। राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई को 14 मई, 2025 से भारत के CJI रूप में नियुक्ति को मंज़ूरी दी है। मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भूषण रामकृष्ण गवई का कार्यकाल 14 मई से शुरू होगा। बता दें, इसको लेकर भारत सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग की तरफ से एक पत्र जारी किया गया। जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को 14 मई, 2025 से भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में लेंगे शपथ
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई को भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। परंपरा के तहत, मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश बी. आर. गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की थी, जिसे केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा गया था। सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। न्यायमूर्ति गवई के न्यायिक करियर में कई महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने संबंधी फैसला प्रमुख है। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति गवई महाराष्ट्र के अमरावती जिले से संबंध रखते हैं।
बी.आर. गवई कौन हैं?
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। वे वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और सांसद रहे स्वर्गीय रामकृष्ण गवई के पुत्र हैं। उनके पिता रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के संस्थापक रहे और महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम भूमिका निभा चुके हैं। रामकृष्ण गवई 1998 में अमरावती लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे और उन्होंने 2006 से 2011 तक बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल के रूप में भी सेवाएं दी थीं।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई दलित समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्ण 2007 से 2010 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश पद पर आसीन रह चुके हैं।
भूषण गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील और बाद में सरकारी अभियोजक के तौर पर काम किया। 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उन्होंने वहां करीब 16 वर्षों तक सेवा दी। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति मिली।
अब वे 14 मई 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे और नवंबर 2025 में 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होंगे। इस प्रकार, उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का रहेगा।