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Bihar SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आधार कार्ड को माना जाए 12वां दस्तावेज

बिहार में अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। हालांकि, इसे नागरिकता का सबूत नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR पर क्या निर्देश जारी किए हैं।

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Ajit Kumar Pandey
Bihar SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, केवल वास्तविक नागरिक को ही मतदान की अनुमति | यंग भारत न्यूज

Bihar SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, केवल वास्तविक नागरिक को ही मतदान की अनुमति | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया में मतदाताओं को शामिल करने के लिए पहचान के उद्देश्य से आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में माना जाना चाहिए। केवल वास्तविक नागरिकों को ही मतदान करने की अनुमति होगी, जाली दस्तावेज़ों के आधार पर वास्तविक होने का दावा करने वालों को इससे बाहर रखा जाएगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि अधिकारियों को आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की पुष्टि करने का अधिकार होगा। इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से बिहार में आधार को स्वीकार करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा।

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से बिहार में मतदाता की पहचान के लिए आधार को दस्तावेज़ मानने को कहा। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपने अधिकारियों को आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने के बारे में निर्देश जारी करने को कहा है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विराम लगाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग को अपने अधिकारियों को निर्देश देना होगा कि वे आधार को एक वैध पहचान पत्र के तौर माना जा सकता है। यह फैसला बिहार के उन लाखों लोगों के लिए अहम है, जो सही दस्तावेजों की कमी के चलते वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हो पा रहे थे। 

नागरिकता का प्रमाण नहीं, बस पहचान है आधार 

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यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि कोर्ट ने आधार को सिर्फ एक पहचान दस्तावेज के रूप में मान्यता देने के लिए कहा है, न कि नागरिकता के प्रमाण के रूप में। इसका मतलब है कि वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अन्य आवश्यक जानकारी और दस्तावेज अभी भी ज़रूरी होंगे। 

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद चुनाव आयोग को बिहार विशेष सारांश संशोधन अभ्यास के दौरान अधिकारियों को इसके बारे में निर्देश जारी करने को कहा गया है। इस फैसले से बिहार के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। 

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