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सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'वोटर-फ्रेंडली है बिहार का SIR...' , जानें विरोध में उतरे अभिषेक मनु सिंघवी क्या बोले?

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के SIR (Systematic Improvement of Records) को 'वोटर-फ्रेंडली' बताया, जिससे चुनाव आयोग को बड़ी राहत मिली। यह फैसला मतदाता सूची सुधार में मील का पत्थर साबित हो सकता है। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

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Ajit Kumar Pandey
सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'वोटर-फ्रेंडली है बिहार का SIR...' , जानें विरोध में उतरे अभिषेक मनु सिंघवी क्या बोले? | यंग भारत न्यूज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'वोटर-फ्रेंडली है बिहार का SIR...' , जानें विरोध में उतरे अभिषेक मनु सिंघवी क्या बोले? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची (Voter List) में सुधार को लेकर आज बुधवार 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के Systematic Improvement of Records (SIR) कार्यक्रम को 'वोटर-फ्रेंडली' बताते हुए इसकी सराहना की है। इस फैसले ने न सिर्फ चुनाव आयोग बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम की है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी क्या बोले यह जानना भी दिलचस्प है।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए मतदाता सूची में सुधार एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। चुनाव आयोग ने कई राज्यों में इस तरह के कार्यक्रम चलाए हैं, लेकिन बिहार का SIR कार्यक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दूसरे दिन जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने SIR के सकारात्मक पहलुओं पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह पहल मतदाताओं के लिए ज्यादा अनुकूल है, क्योंकि इससे मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार करने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई सिस्टम लोगों की मदद करता है, तो उसे कानूनी पचड़ों में नहीं उलझाना चाहिए।

कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के इस रुख पर कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अपनी राय रखी। सिंघवी ने कहा कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाना आसान है, लेकिन मतदाता सूची में सुधार के लिए जमीनी स्तर पर काम करना बेहद मुश्किल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि SIR जैसी पहल एक मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह के कार्यक्रमों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

क्या है चुनाव आयोग का SIR कार्यक्रम?

SIR यानी Systematic Improvement of Records, एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके तहत मतदाताओं के रिकॉर्ड को अपडेट किया जाता है। इस प्रक्रिया में घर-घर जाकर सर्वे किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए। चुनाव आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को ज्यादा सटीक और विश्वसनीय बनाती है, जिससे फर्जी मतदान की संभावना कम हो जाती है। यह बिहार में मतदाता सूची सुधार के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

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सटीक मतदाता सूची: SIR से वोटर लिस्ट की सटीकता बढ़ती है, जिससे सही चुनाव परिणाम की संभावना बढ़ जाती है।

फर्जी मतदान पर रोक: फर्जी नामों को हटाने से फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगता है।

मतदाताओं के लिए सुविधा: मतदाताओं को अपने नाम जुड़वाने या सुधार करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।

बिहार SIR: राजनीतिक गलियारों में हलचल

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सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल इस फैसले को अपनी जीत बता रहा है, जबकि विपक्ष इसे संदेह की नजर से देख रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उसका फोकस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर है, न कि किसी राजनीतिक दल पर। यह एक महत्वपूर्ण कानूनी और चुनावी सुधार है जो सीधे तौर पर मतदाता सूची में सुधार से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर आगे भी सुनवाई जारी रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट चुनाव आयोग को मतदाता सूची में सुधार के लिए और क्या निर्देश देता है। यह फैसला बिहार के आगामी चुनावों पर सीधा असर डालेगा और यह भी तय करेगा कि भविष्य में देश के अन्य हिस्सों में मतदाता सूची को कैसे अपडेट किया जाएगा। बिहार में SIR का यह प्रयोग आने वाले समय में एक आदर्श बन सकता है, जिसे 'वोटर-फ्रेंडली' बताया गया है।

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