नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट आज बिहार में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। यह याचिकाएं निर्वाचन आयोग (EC) द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई हैं। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं अरशद अजमल और रूपेश कुमार द्वारा दायर याचिकाओं को भी मंजूरी दे दी है। इन याचिकाओं को पहले से सूचीबद्ध अन्य मामलों के साथ जोड़ा गया है। इन कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में जन्म, निवास और नागरिकता से संबंधित दस्तावेजीकरण की शर्तें मनमानी और असंगत हैं, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों को कमजोर करती हैं।
विपक्ष के कई बड़े नेता भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
चुनाव आयोग के निर्णय के खिलाफ कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव गुट), समाजवादी पार्टी, झामुमो, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) समेत विपक्षी दलों के नेताओं ने संयुक्त याचिका दाखिल की है। इनमें प्रमुख रूप से मनोज झा (राजद सांसद), महुआ मोइत्रा (टीएमसी सांसद), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), डी. राजा (सीपीआई), हरिंदर सिंह मलिक (सपा), अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी), सरफराज अहमद (झामुमो), दीपांकर भट्टाचार्य (सीपीआई-एमएल) आदि शामिल हैं।
जानिए क्या है मामला?
बिहार में चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू किया है, जिसमें मतदाताओं की नागरिकता, जन्म और निवास को लेकर अतिरिक्त दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। विपक्ष और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह प्रक्रिया जनसंख्या को लक्षित करने और वोटर सशक्तिकरण को कमजोर करने का प्रयास है। अब सभी याचिकाओं पर एक साथ सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। इस पर अगला फैसला आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकता है।
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