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ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर Photograph: (IANS)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। जब वैश्विक व्यापार जगत अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के चलते तनाव में है, ऐसे समय में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की भारत यात्रा केवल एक व्यापारिक मिशन नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक संदेश भी माना जा रहा है। हाल ही में अमेरिका ने कई विदेशी वस्तुओं पर नए टैरिफ लागू किए हैं, जिससे ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन जैसे साझेदारों के लिए दबाव की स्थिति बन गई है। यह कदम अमेरिका की "प्रोटेक्शनिस्ट पॉलिसी" को दर्शाता है, जिसका असर वैश्विक आपूर्ति शृंखला और व्यापार साझेदारियों पर साफ देखा जा रहा है।
भारत-ब्रिटेन व्यापारिक समीकरण
ऐसे माहौल में पीएम कीर स्टार्मर की भारत यात्रा को दो देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग (CETA) को गति देने वाला कदम माना जा रहा है। यह दौरा केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक आर्थिक धुरी विकसित करने की दिशा में भी उठाया गया कदम है। दरअसल, ब्रिटेन इस वक्त नए व्यापार साझेदारों की तलाश में है। भारत, अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और तकनीकी नवाचारों के चलते, ब्रिटेन के लिए एक आदर्श रणनीतिक भागीदार बन सकता है। पीएम स्टार्मर के मुंबई दौरे में वे ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में हिस्सा ले सकते हैं, जहां वे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर सकते हैं। यह फोरम वैश्विक आर्थिक नेताओं और नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनता जा रहा है।
भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक साझेदारी
पीएम स्टार्मर की यात्रा में कई उच्च-स्तरीय बैठकें और व्यापारिक समझौते प्रस्तावित हैं, जिनका उद्देश्य "विजन 2035" रोडमैप को आगे बढ़ाना है। इस रोडमैप में व्यापार, रक्षा, शिक्षा, जलवायु और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी गई है। स्टार्मर की भारत यात्रा इस संकेत की तरह देखी जा रही है कि पश्चिमी देश अब एशियाई ताकतों के साथ अपने रिश्तों को फिर से परिभाषित करना चाहते हैं। अमेरिका की ओर से बनाए जा रहे संरक्षणवाद के माहौल में, भारत जैसे देशों के साथ साझेदारी मजबूत करना ब्रिटेन की नई वैश्विक रणनीति का हिस्सा है।
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