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जाति जनगणना हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है, सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं": Kharge

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी प्रवक्ताओं से जाति जनगणना के मुद्दे को केवल चुनावी मुद्दा न मानने, बल्कि इसे पार्टी की वैचारिक प्रतिबद्धता के रूप में जनता के बीच संवेदनशीलता और निडरता से उठाने की अपील की।

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Ranjana Sharma
mallikarjun kharge
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को पार्टी प्रवक्ताओं से आह्वान किया कि वे जाति जनगणना के मुद्दे को सिर्फ चुनावी मुद्दे के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संविधान की आत्मा की रक्षा के एक गंभीर प्रयास के रूप में देखें और इसे निडर होकर जनता के बीच ले जाएं। उन्होंने यह बातें नई दिल्ली में आयोजित कांग्रेस प्रवक्ताओं की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर उन्होंने जातीय न्याय, सामाजिक भागीदारी और नीति निर्धारण में आंकड़ों की अहमियत पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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जितनी आबादी, उतना हक को बनाएं राष्ट्रीय संकल्प

खरगे ने कहा कि जब पूरा देश जातीय न्याय की बात कर रहा है, तब कांग्रेस का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस विमर्श को नारे से नीति तक ले जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जितनी आबादी, उतना हक’ केवल एक नारा नहीं, एक राष्ट्रीय संकल्प होना चाहिए।

कांग्रेस ने हमेशा उठाया जाति जनगणना का मुद्दा

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कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी ने लगातार इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाया है— चाहे वह संसद हो, चुनावी घोषणापत्र हों या सड़क। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अप्रैल 2023 में लिखे अपने पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने जाति जनगणना की तत्काल शुरुआत की मांग की थी।

भागीदारी पर सवाल पूछना जरूरी है

खरगे ने सवाल उठाया कि ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों को देश के सत्ता और संस्थानों में उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, “क्या इन वर्गों की हिस्सेदारी न्यायपालिका, मीडिया, नौकरशाही, कॉरपोरेट और उच्च शिक्षा में दिखाई देती है? यदि नहीं, तो इसका समाधान सच्चाई सामने लाना और आंकड़ों के आधार पर नीति बनाना है।”

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आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार की मांग

उन्होंने कहा कि सामाजिक वास्तविकताओं के बदलने के साथ अब 50% आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, “नई जनगणना के आंकड़े आने के बाद नीतियों को उसी अनुरूप बदला जाना चाहिए ताकि ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों को उनका वास्तविक हक मिल सके।

तेलंगाना मॉडल को बताया आदर्श

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तेलंगाना में हुए जाति सर्वेक्षण को खरगे ने एक आदर्श मॉडल बताते हुए कहा कि उसमें समाज, विशेषज्ञ और सरकार की सहभागिता थी। उन्होंने केंद्र सरकार से भी इसी तरह का जन-संवादी और पारदर्शी मॉडल अपनाने की अपील की और सहयोग का आश्वासन भी दिया। खरगे ने कांग्रेस प्रवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप हमारे विचारों की आवाज हैं। आज जब जाति जनगणना को लेकर देश में जागरूकता बढ़ रही है, तब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तथ्यों के साथ, संवेदनशीलता और निडरता के साथ इस मुद्दे को आगे ले जाएं।

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