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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने जाति आधारित जनगणना को लेकर उठ रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि यह कवायद समाज को बांटने वाली नहीं बल्कि सामाजिक न्याय को सशक्त बनाने वाली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर बनाई गई नीतियां वंचित समुदायों के विकास में सहायक होंगी।
एक समाचार एजेंसी से बातचीत में मकवाना ने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय स्वागतयोग्य है। उन्होंने बताया कि unlike 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC), इस बार आंकड़े अधिक सटीक और उपयोगी होंगे, जिससे कल्याणकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक बेहतर तरीके से पहुंच सकेंगी।
उन्होंने कहा, "जाति गणना से समाज में कोई नया विभाजन नहीं होगा। बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता की दिशा में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सपनों को साकार करने में मदद करेगी।" मकवाना के मुताबिक, इससे पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को उनका वास्तविक हक मिल सकेगा और योजनाएं अधिक प्रभावशाली ढंग से लागू की जा सकेंगी।
मकवाना ने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग सीधे तौर पर जनगणना प्रक्रिया में शामिल नहीं रहेगा, लेकिन एकत्र आंकड़ों के आधार पर नीतियों के निर्धारण और अनुसूचित जातियों को उचित हिस्सेदारी दिलाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने पंजाब में दलित समुदाय की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि वहां छात्रवृत्तियों में देरी, युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और शिक्षा छोड़ने की बढ़ती दर गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। मकवाना ने भरोसा जताया कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर बनाई गई नीतियां न केवल पिछड़े वर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाएंगी, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम भी साबित होंगी।