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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः तिरुपति लड्डू मामले की जांच में सीबीआई डायरेक्टर ने एक खेल किया था। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच टीम में जिन लोगों को शामिल करने को कहा था, सीबीआई डायरेक्टर ने फैसले के साथ हेरफेर किया। उन्होंने अपनी मर्जी से एक अफसर को लड्डू की जांच करने वाली टीम में शामिल कर दिया। हाईकोर्ट का कहना था कि सीबीआई डायरेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खिलवाड़ किया है।
सुप्रीम कोर्ट की SIT से कर दी डायरेक्टर ने छेड़छाड़
हाईकोर्ट के जस्टिस हरिनाथ एन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो SIT बनाई थी उसमें जे वेंकट राव का नाम नहीं था। ये नाम सीबीआई डायरेक्टर की मर्जी से आया। अदालत ने कहा कि उनकी इतनी बड़ी हैसियत नहीं है जो वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तब्दील कर सकें। अदालत ने आदेश दिया कि सीबीआई डायरेक्टर निष्पक्ष जांच की दिशा में काम करें। यह आदेश तब दिया गया जब कदुरू चिन्नप्पन्ना नाम के एक आरोपी ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उसने कहा था कि ये सरासर सीबीआई की मनमानी है।
एडिशनल एसपी को सुप्रीम कोर्ट की SIT में किया शामिल
लड्डू विवाद नवंबर 2024 में तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था। शुरुआत में राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक SIT का गठन किया। टाप कोर्ट ने सरकारी फैसले को दरकिनार कर एक नई SIT गठित कर दी। इसमें सीबीआई के दो अधिकारी, राज्य सरकार के दो अधिकारी और FSSAI का एक अधिकारी शामिल था। नई SIT को सीबीआई निदेशक की निगरानी में काम करना था।
हाईकोर्ट ने रद्द किया सीबीआई डायरेक्टर का फैसला
चिन्नप्पन्ना ने कहा कि सीबीआई निदेशक ने जांच का काम तिरुपति के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जे वेंकट राव को सौंप दिया था। वो राज्य सरकार की SIT के सदस्य भी थे। चिन्नप्पन्ना ने तर्क दिया कि यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। उच्च न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताई और जे वेंकट राव के नामांकन को अवैध घोषित कर दिया।
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