नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत-पाक संघर्ष के बीच सीडीएस जनरल अनिल चौहान का बयान सुर्खियों में। विपक्ष ने सरकार की कूटनीति पर उठाए सवाल। विशेषज्ञों ने बयान को बताया सामरिक दृष्टिकोण से उचित। पाकिस्तान के विमान गिराने के दावे को सीडीएस ने किया खारिज। बयान ने भारत की रक्षा रणनीति पर नई बहस छेड़ दी है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के भारतीय लड़ाकू विमान गिराने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा क्यों हुआ और भारत ने उससे क्या सीखा। विपक्ष ने इस बयान को लेकर सरकार की कूटनीति पर सवाल उठाए हैं, जबकि विशेषज्ञों ने इसे सामरिक दृष्टिकोण से उचित ठहराया है।
सीडीएस चौहान के बयान से मचा बवाल: विपक्ष और विशेषज्ञ आमने-सामने
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान के बयान ने राजनीतिक और रणनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने पाकिस्तान के भारतीय लड़ाकू विमान गिराने के दावे को खारिज करते हुए कहा, "यह जरूरी नहीं कि जेट गिराया गया, जरूरी यह है कि ऐसा क्यों हुआ।"
इस बयान के बाद विपक्ष ने सरकार की कूटनीति पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसे सरकार की असफलता करार देते हुए कहा कि यह बयान भारत की रक्षा नीति में कमजोरियों को उजागर करता है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि भारत के कितने विमान क्षतिग्रस्त हुए और इसके पीछे क्या कारण थे।"
वहीं, रक्षा विशेषज्ञों ने सीडीएस के बयान का समर्थन किया है। रक्षा विश्लेषक सी उदय भास्कर ने कहा, "सीडीएस ने जो कहा वह सामरिक दृष्टिकोण से उचित है। भारत ने अपनी गलतियों से सीखा और उन्हें सुधारा, यही महत्वपूर्ण है।"
जनरल चौहान ने इंटरव्यू में यह भी बताया कि भारत ने अपनी टैक्टिकल गलतियों को पहचाना और उन्हें दो दिनों के भीतर सुधारा। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने लंबी दूरी के ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। उन्होंने पाकिस्तान के छह विमानों को गिराने के दावे को "बिल्कुल गलत" बताया।
इस बयान ने भारत की रक्षा रणनीति और कूटनीति पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। जहां एक ओर विपक्ष इसे सरकार की कमजोरी के रूप में देख रहा है, वहीं विशेषज्ञ इसे आत्ममंथन और सुधार की प्रक्रिया मानते हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह बयान महत्वपूर्ण है। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी रक्षा रणनीति में पारदर्शिता और आत्मविश्लेषण को महत्व देता है। हालांकि, सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी साझा करे ताकि जनता और विपक्ष के बीच उठ रहे सवालों का समाधान हो सके।
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