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केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अपने और कई खनिज संपन्न राज्यों के बीच खनिज युक्त भूमि एवं खनिज अधिकारों पर रॉयल्टी और कर बकाया की वसूली के मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहा है। इस बीच, शीर्ष अदालत ने झारखंड जैसे कई खनिज संपन्न राज्यों की उन याचिकाओं पर सुनवाई 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी, जो केंद्र और खनन कंपनियों से खनिज अधिकारों और खनिज संपन्न भूमि पर रॉयल्टी और कर बकाया वसूलने से जुड़ी हैं।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा कि वह कई खनिज संपन्न राज्यों की याचिकाओं पर सुनवाई के क्रम को लेकर फैसला करेगी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे का समाधान खोजने के प्रयास जारी हैं और याचिकाओं को मई के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध किया जा सकता है।
झारखंड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि किसी भी स्तर पर समाधान निकाला जा सकता है और सुनवाई में देरी नहीं होनी चाहिए। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (अब सेवानिवृत्त) की अगुवाई वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जुलाई, 2024 को एक के मुकाबले आठ के बहुमत से फैसला सुनाया था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है, संसद के पास नहीं।
इसके बाद, उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को खनिज संपन्न राज्यों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें खनिजों और खनिज-युक्त भूमि पर केंद्र सरकार से 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से रॉयल्टी तथा कर पर एक अप्रैल 2005 से बकाया लेने की अनुमति दे दी थी। पीठ ने कहा था कि 25 जुलाई के आदेश को आगामी प्रभाव से लागू करने की दलील खारिज की जाती है। बाद में, कई राज्यों और केंद्र के बीच विवाद को सुलझाने के लिए न्यायमूर्ति ओका की अगुवाई में एक विशेष पीठ का गठन किया गया।