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1971 में जख्मी हुए सैनिक को पेंशन नहीं दे रहा था केंद्र, HC ने फटकार लगाकर दिया ये आदेश

पूर्व सैनिक शाम सिंह बनाम केंद्र के मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हैरत जताई कि सरकार ऐसा कैसे कर सकती है।

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Shailendra Gautam
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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में बम विस्फोट में घायल हुए एक सैन्यकर्मी को युद्ध क्षति पेंशन और अन्य लाभ देने पर केंद्र सरकार की आपत्ति की आलोचना की। पूर्व सैनिक शाम सिंह बनाम केंद्र के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हैरत जताई कि सरकार ऐसा कैसे कर सकती है।

एएफटी के आदेश को केंद्र ने दी थी चुनौती

जस्टिस हरसिमरन सेठी और विकास सूरी की बेंच ने मई 2021 में दिवंगत हुए सैनिक की पत्नी को पेंशन लाभ देने के सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को चुनौती देने वाली सरकार की याचिका खारिज कर दी।

लड़ाई में बम की चपेट में आने से जख्मी हुए थे शाम सिंह

1971 युद्ध के दौरान शाम सिंह एक पाकिस्तानी बम की चपेट में आकर घायल हो गए थे। हमले के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी, इसलिए 1973 में उन्हें सेना से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पेंशन और युद्ध क्षति से जुड़े दूसरे लाभों के लिए शाम सिंह ने समय रहते आवेदन नहीं किया था। उन्होंने 2017 में एएफटी का रुख किया। लेकिन सुनवाई के दौरान ही 2021 में शाम सिंह की मौत हो गई। एएफटी ने 2023 में आदेश दिया कि सेना से मिलने वाले लाभ शाम सिंह की पत्नी करनैल कौर को दिए जाएं। केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया कि न्यायाधिकरण का विकलांगता को 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक करना गलत था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि सैनिक को पहले ही मौके पर लाभ के लिए आवेदन करना चाहिए था, न कि 44 वर्षों के बाद। कोर्ट ने कहा कि सैनिक को युद्ध में चोट लगी थी और वह युद्ध क्षति पेंशन के लाभ का हकदार थे। फिर भी सरकार ने तथ्यों की अनदेखी की और ऐसे सैनिक यानी शाम सिंह को वो लाभ प्रदान नहीं किए, जिसके वह हकदार थे। सरकार ने यह अपेक्षा की कि वो खुद से उसके पास आकर दावा करेगा।

हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार

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न्यायालय ने सैनिक की विकलांगता को सैन्य सेवा के कारण न मानने के लिए केंद्र की भी आलोचना की। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से इस तरह की कार्रवाई की सराहना नहीं की जा सकती, खासकर जब यह एक ऐसे सैनिक से संबंधित हो, जिसने देश के लिए लड़ाई लड़ी और विकलांगता का शिकार हुआ। वह भी दो देशों के बीच युद्ध में। इसलिए, याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादी संख्या 1 के पति शाम सिंह को युद्ध क्षति पेंशन का लाभ देने के लिए आगे आना चाहिए था। 

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